कांग्रेस ने आरटीआई को मजबूत करने की मांग की, भाजपा पर कमजोर करने का आरोप

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नई दिल्ली, 12 अक्टूबर (आईएएनएस)। कांग्रेस नेता अनिल भारद्वाज ने रविवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम की 20वीं वर्षगांठ पर इसे भारत के लोकतंत्र का ऐतिहासिक कदम करार दिया।

उन्होंने कहा कि 12 अक्टूबर 2005 को यूपीए सरकार और तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के मार्गदर्शन में शुरू किया गया यह कानून भारतीय नागरिकों के संवैधानिक और सामाजिक सशक्तिकरण का आधार बना। यह अधिनियम लोकतंत्र को पारदर्शी और जवाबदेह बनाने का एक मजबूत हथियार साबित हुआ, जिसने सरकारी कामकाज को जनता के सामने लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

अनिल भारद्वाज ने कहा कि आरटीआई अधिनियम ने भारत के लोकतंत्र को विश्व में सबसे मजबूत मॉडलों में से एक बनाने में योगदान दिया। यूपीए सरकार ने 2014 तक सत्ता में रहते हुए इस कानून को और प्रभावी बनाने के लिए लगातार प्रयास किए।

उन्होंने कहा, “हमारी सरकार ने हमेशा यह सुनिश्चित किया कि सरकारी फाइलों में मौजूद जानकारी को जनता तक पहुंचाया जाए, ताकि प्रशासनिक पारदर्शिता बढ़े।”

उन्होंने भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार पर आरटीआई को कमजोर करने का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि 2014 के बाद से सरकार ने इस जनहितकारी कानून को कमजोर करने की कोशिश की। साल 2019 के आरटीआई संशोधन के तहत सूचना आयुक्तों का कार्यकाल जो पहले पांच वर्ष का निश्चित था और उनकी सेवा शर्तें सुरक्षित थीं, अब सरकार के अधीन कर दी गई। इससे सूचना आयोग की स्वायत्तता पर असर पड़ा।

अनिल भारद्वाज ने डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (डीपीडीपी) अधिनियम की धारा 43 का भी जिक्र किया, जिसमें व्यक्तिगत जानकारी को साझा करने पर रोक लगाई गई है। उन्होंने इसे आरटीआई के जनहित उद्देश्यों के खिलाफ बताया।

उन्होंने कहा, “यह सरकार आरटीआई को कमजोर कर लोकतंत्र के आधार को कमजोर करने की कोशिश कर रही है। कार्यपालिका का दखल इस कानून की स्वतंत्रता को प्रभावित कर रहा है।”

इस मौके पर कांग्रेस ने दो प्रमुख मांगें रखीं। पहली, 2019 के आरटीआई संशोधन को रद्द कर मूल प्रावधानों को बहाल किया जाए, ताकि सूचना आयुक्तों का कार्यकाल और सेवा शर्तें फिर से सुरक्षित हों। दूसरी, डीपीडीपी अधिनियम की धारा 43 की समीक्षा कर संशोधन किया जाए, जो आरटीआई के जनहित उद्देश्यों को कमजोर करती है।

भारद्वाज ने जोर देकर कहा कि आरटीआई न सिर्फ एक कानून है, बल्कि यह भारत के नागरिकों के लिए सशक्तिकरण का एक रास्ता है।