नई दिल्ली, 12 अक्टूबर (आईएएनएस)। हमारी सेहत और हमारे ग्रह की सेहत आपस में जुड़ी हैं। अगर हम अपने खाने-पीने पर ध्यान देंगे तो ना सिर्फ हम खुद तंदुरुस्त रहेंगे, बल्कि पृथ्वी भी खुश रहेगी। सही खाने से शरीर और मन दोनों संतुलित रहते हैं।
सबसे पहले तो यह समझना जरूरी है कि हमें क्या खाना चाहिए। आयुर्वेद में सत्विक आहार को बहुत अहमियत दी गई है। ऐसे खाने से शरीर को जरूरी पोषण मिलता है और मन भी शांत और स्पष्ट रहता है। तली-भुनी और ज्यादा भारी चीजें कम खाएं, और फल, सब्जियां, दालें, अनाज और दूध जैसी चीजों को अपने भोजन में शामिल करें। ये सिर्फ सेहत के लिए अच्छे नहीं, बल्कि मानसिक शांति के लिए भी जरूरी हैं।
इसके साथ ही, कोशिश करें कि जो भी खाना आप खाएं, वह मौसमी और स्थानीय हो। मतलब, जो फल और सब्जियां इस समय के मौसम में उपलब्ध हैं, वही खाएं। इससे न सिर्फ आपका शरीर प्राकृतिक तरीके से पोषण पाता है, बल्कि यह हमारे किसानों का भी समर्थन करता है और सप्लाई चेन पर दबाव कम करता है। मतलब कम ट्रकिंग, कम पैकेजिंग और पर्यावरण के लिए भी कम नुकसान।
एक और बहुत जरूरी आदत है सावधानी से खाना। ध्यान रखकर, धीरे-धीरे और भूख के हिसाब से खाना खाएं। प्राकृति, यानी शरीर के प्रकार के अनुसार भोजन चुनें। इससे आप ज्यादा नहीं खाएंगे, पेट भारी नहीं होगा, और खाने का अपव्यय भी कम होगा। जब हम ज्यादा खाने से बचते हैं तो भोजन भी बेकार नहीं होता और फूड वेस्ट कम होती है।
असल में, ये छोटी-छोटी आदतें जैसे सत्विक खाना, मौसमी और स्थानीय चीजें चुनना और ध्यान से खाना हमारी जिंदगी को बेहतर बनाती हैं। शरीर स्वस्थ रहता है, मन शांत रहता है और हम पर्यावरण के लिए भी अच्छा कर रहे होते हैं।
याद रखें, जब हम सही खाते हैं, तो सही जीते हैं। और जब हम सही जीते हैं, तो हमारी पृथ्वी भी हमारे साथ खिलती है। इसलिए, अपने खाने को सिर्फ पेट भरने का साधन मत समझिए, इसे अपने जीवन और पृथ्वी के लिए एक जिम्मेदारी मानिए।