पटना, 12 अक्टूबर (आईएएनएस)। बिहार के सिवान स्थित रघुनाथपुर विधानसभा सीट प्रदेश की उन कुछ सीटों में से एक है जो हर चुनाव में राजनीतिक समीकरणों का रुख तय करने की क्षमता रखती है। यह सीट सामान्य श्रेणी की है। इसमें रघुनाथपुर और हुसैनगंज प्रखंडों के साथ-साथ हसनपुरा प्रखंड की पांच ग्राम पंचायतें शामिल हैं। यह इलाका घाघरा नदी की समृद्ध जलोढ़ समभूमि में बसा है, जहां कृषि आज भी मुख्य आजीविका का आधार बनी हुई है।
यहां की उपजाऊ मिट्टी धान, गेहूं और दालों की खेती के लिए उपयुक्त मानी जाती है। सामाजिक रूप से यह एक ग्रामीण क्षेत्र है जहां छोटे-छोटे बाजार, पंचायत राजनीति और पारंपरिक सामाजिक ढांचे का वर्चस्व है।
भौगोलिक दृष्टि से रघुनाथपुर की दूरी सिवान शहर से लगभग 20 किलोमीटर है। छपरा, जो प्रमंडलीय मुख्यालय है, यहां से करीब 75 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में स्थित है, जबकि उत्तर प्रदेश की सीमा पर स्थित बलिया मजह 45 किलोमीटर दूर है। राजधानी पटना से इसकी दूरी लगभग 150 किलोमीटर है। सिवान जंक्शन रेलवे स्टेशन इस क्षेत्र को राज्य और देश के अन्य हिस्सों से जोड़ता है।
रघुनाथपुर विधानसभा क्षेत्र की स्थापना वर्ष 1951 में हुई थी। यहां अब तक 17 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। यह सीट सिवान लोकसभा क्षेत्र के छह विधानसभा क्षेत्रों में से एक है। राजनीतिक इतिहास पर नजर डालें तो शुरुआती दशकों में यह कांग्रेस का गढ़ रहा, जिसने यहां आठ बार जीत दर्ज की। इसके बाद, बिहार की राजनीति में समाजवादी और जातीय आधार वाले दलों के उभार के साथ यहां का समीकरण भी बदला।
इन सबके अलावा, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी, संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी, जनता पार्टी, जनता दल, जेडीयू, भाजपा और एक निर्दलीय प्रत्याशी ने भी एक-एक बार इस सीट पर जीत हासिल की है। हाल के दो चुनावों में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के हरि शंकर यादव ने लगातार जीत दर्ज की है, जिससे यह क्षेत्र अब राजद का मजबूत गढ़ माना जाता है।
2024 में चुनाव आयोग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार रघुनाथपुर विधानसभा क्षेत्र की कुल जनसंख्या 5,14,214 है, जिसमें 2,60,256 पुरुष और 2,53,958 महिलाएं शामिल हैं। वहीं, कुल मतदाताओं की संख्या 3,08,263 है, जिसमें 1,57,722 पुरुष, 1,50,530 महिलाएं और 11 थर्ड जेंडर मतदाता हैं। पिछले कई चुनावों में यहां मतदान प्रतिशत 53 से 55 के बीच रहा है।
जातीय और राजनीतिक समीकरणों की दृष्टि से रघुनाथपुर एक संतुलित सीट है। यहां यादव, राजपूत, भूमिहार, ब्राह्मण, पासवान और मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं। यादव और मुस्लिम मतों के मजबूत गठजोड़ ने पिछले दो चुनावों में राजद को फायदा पहुंचाया है।
2020 के चुनाव में जेडीयू का प्रदर्शन कमजोर रहा था। आगामी विधानसभा चुनाव राजद और एनडीए के बीच एक कड़े मुकाबले की ओर इशारा करता है, जहां गठबंधन की रणनीति, स्थानीय समीकरण और मतदाता लामबंदी निर्णायक भूमिका निभाएंगे।