बिहार चुनाव 2025: विधानसभा में राजद पर भरोसा, लोकसभा में भाजपा को वरीयता, जानें उजीयारपुर का समीकरण

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पटना, 14 अक्टूबर (आईएएनएस)। बिहार के समस्तीपुर जिले की उजियारपुर सीट अपनी चुनावी कहानी को लेकर हमेशा चर्चा में रहती है। यहां के मतदाता एक ही नेता या पार्टी को विधानसभा और लोकसभा के चुनावों में दो बिल्कुल अलग-अलग नजरिए से देखते हैं। उजियारपुर, जो दलसिंहसराय अनुमंडल का एक महत्वपूर्ण प्रखंड है, सदियों पुरानी मिथिला क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति का हिस्सा है। लेकिन जब बात राजनीति की आती है, तो यह सीट एक ऐसी पहेली बन जाती है, जहां स्थानीय और राष्ट्रीय मुद्दे सीधे तौर पर एक-दूसरे से टकराते हैं।

उजियारपुर विधानसभा क्षेत्र, जिसका गठन 2008 के परिसीमन के बाद हुआ, एक अपेक्षाकृत नई सीट है, लेकिन यहां की राजनीति में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) का दबदबा शुरुआत से ही रहा है। पिछले तीन विधानसभा चुनावों में, मतदाताओं ने लगातार राजद पर अपना भरोसा जताया है।

इस सीट के पहले विधानसभा चुनाव में राजद के दुर्गा प्रसाद सिंह ने जीत हासिल की थी। उन्होंने जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के राम लखन महतो को पराजित किया था।

इसके बाद, आलोक कुमार मेहता ने इस सीट पर अपनी पकड़ मजबूत बनाई। 2020 के चुनाव में भी उन्होंने अपनी जीत बरकरार रखी। इस बार उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के शील कुमार रॉय को भारी अंतर से मात दी। तब उपेंद्र कुशवाहा ने मायावती और ओवैसी के साथ मिलकर फ्रंट बनाया था और प्रशांत पंकज को उतारा था, लेकिन उन्हें बहुत कम वोट मिले और वह सिमट गए। यह लगातार तीसरी बार था जब इस सीट पर राजद की जीत हुई।

उजियारपुर विधानसभा की राजनीति में जातिगत समीकरण बहुत प्रभावी रहा है। उजियारपुर लोकसभा की बात करें तो यादव और कुशवाहा वोट यहां बहुतायत में हैं, लेकिन उजियारपुर विधानसभा में यादव और कुशवाहा के साथ-साथ ब्राह्मण और राजपूत वोट भी निर्णायक माने जाते हैं।

यहां, शहरी मतदाता केवल 5.34 प्रतिशत हैं। 2020 के चुनाव में कुल मतदाता 2,99,159 पंजीकृत मतदाता थे, जिसमें अनुसूचित जाति (एससी) की भागीदारी 19.23 प्रतिशत थी। मुस्लिम मतदाताओं की भागीदारी लगभग 10 प्रतिशत थी।

उजियारपुर की सबसे दिलचस्प और उलझी हुई कहानी यह है कि यहां के मतदाता विधानसभा में राजद पर भरोसा करते हैं, वहीं लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी (भजपा) को वरीयता देते हैं।

उजियारपुर विधानसभा क्षेत्र उजियारपुर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है। 2024 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार नित्यानंद राय राष्ट्रीय जनता दल के आलोक कुमार मेहता को बड़े अंतर से हराकर उजियारपुर से सांसद चुने गए। यहां की जनता ने लोकसभा चुनावों में 2014 से लेकर 2024 तक भाजपा उम्मीदवारों पर भरोसा जताया है।

यह सीट दलसिंहसराय मुख्यालय से 14 किमी और जिला मुख्यालय समस्तीपुर से 15 किमी की दूरी पर है। राज्य की राजधानी पटना से यह लगभग 95 किमी दूर है।

यहां के निवासियों की आजीविका मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है। हथकरघा उद्योग जैसे छोटे पैमाने के उद्यम भी स्थानीय अर्थव्यवस्था में योगदान देते हैं।

उजियारपुर विधानसभा क्षेत्र में उजियारपुर प्रखंड के साथ-साथ दलसिंहसराय प्रखंड की 10 ग्राम पंचायतें और दलसिंहसराय अधिसूचित क्षेत्र को शामिल किया गया है।

इन रुझानों के आधार पर कहा जा सकता है कि अगर कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ, तो 2025 के विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की स्थिति उजियारपुर में मजबूत रह सकती है क्योंकि विधानसभा चुनावों में राजद इस सीट पर लगातार जीतती रही है।

हालांकि, भाजपा नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन को भी उम्मीद है। इस बार इस सीट से बिहार की नई पार्टी जन सुराज ने भी अपने उम्मीदवार को चुनावी मैदान में उतारा है, तो ऐसे में इस सीट पर प्रमुखता से राजद, जदयू और जन सुराज के बीच त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल सकता है। जन सुराज ने इस सीट से दुर्गा प्रसाद सिंह को उम्मीदवार बनाया है।

इस बार बिहार में दो चरणों में मतदान होने हैं। पहले चरण के लिए 6 नवंबर को वोट डाले जाएंगे। दूसरे चरण के लिए 11 नवंबर को वोटिंग होगी और 14 नवंबर को बिहार चुनाव के नतीजे सामने आएंगे।