वाराणसी, 20 अक्टूबर (आईएएनएस)। दीपावली का पर्व पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। इसी बीच पूर्वांचल की सबसे बड़ी फूल मंडी में सुबह से ही खरीदारों की भारी भीड़ देखने को मिली। मंदिरों की सजावट, पूजा-पाठ और घरों को सजाने के लिए लोग उत्साह के साथ फूलों की खरीदारी करते दिखे। इस बार भारी बारिश ने फूलों की फसलों को नुकसान पहुंचाया, जिसके चलते फूलों के दाम आसमान छू रहे हैं। फिर भी खरीदारों के उत्साह में कमी नहीं दिखी।
लोग महंगे दामों की परवाह किए बिना फूल और मालाएं खरीदते दिखे। इस बार स्वदेशी उत्पादों को लेकर भी लोगों में उत्साह साफ नजर आ रहा है।
अजय ने बताया, “फूलों के दाम सुनकर हैरानी होती है, कोई 1,200 रुपए मांग रहा है। लेकिन, दीपावली आस्था का पर्व है, इसलिए खरीदारी तो करनी ही पड़ेगी। माला और फूलों की कई वैरायटी उपलब्ध हैं। भले ही दाम ज्यादा हों, लेकिन लोगों में आस्था का जज्बा कम नहीं हुआ। चारों तरफ भीड़ नजर आ रही है और लोग खरीदारी कर रहे हैं।”
मंडी में चहल-पहल के बीच लोगों का स्वदेशी उत्पादों की ओर झुकाव साफ दिख रहा है। खरीदार अंकित सिंह ने कहा, “मार्केट में उत्साह का माहौल है। लोग चाइनीज दीयों और सजावटी सामानों को नजरअंदाज कर रहे हैं। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, फूलों की मालाएं, अशोक की पत्तियां और कमल के फूलों से घर सजाने की परंपरा है। खासकर मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए उपयुक्त मालाएं खूब बिक रही हैं। मंडी में अभी और भीड़ बढ़ने की उम्मीद है। मैं एक बार आ चुका हूं, और अब दोबारा खरीदारी के लिए लौटा हूं।”
फूल व्यापारी दिनेश यादव ने बताया कि इस बार बारिश ने किसानों को भारी नुकसान पहुंचाया है। भारी बारिश के कारण फूलों की पैदावार प्रभावित हुई, और कई फूल खराब हो गए। यही वजह है कि बाजार में फूलों के दाम इतने ज्यादा हैं। गेंदे और गुलाब की मालाओं की मांग सबसे ज्यादा है, लेकिन महंगाई के कारण बिक्री ज्यादा नहीं हो पा रही। फिर भी, पिछले साल की तुलना में व्यापार ठीक-ठाक रहा है।”
शुभम नाम के एक खरीदार ने कहा, “दीपावली की तैयारियां जोरों पर हैं, लेकिन फूलों के दाम सुनकर निराशा होती है। सुबह से मंडी में हूं, लेकिन दाम लगातार बढ़ रहे हैं। कोई 1,000 रुपए प्रति बंडल मांग रहा है, तो कोई 1,200 रुपए। गेंदे की माला 120 रुपए प्रति पीस बिक रही है। ऐसे में लोग कैसे त्योहार मनाएं? फिर भी, भीड़ कम नहीं है। लोग खरीदारी कर रहे हैं, लेकिन कई लोग महंगाई के कारण खाली हाथ लौट रहे हैं।”