नई दिल्ली, 20 अक्टूबर (आईएएनएस)। दीपावली के त्योहार में मिठाई का खास महत्व है। भारत में इस समय लड्डू, जलेबी, गुलाब जामुन, रसगुल्ला जैसी कई पारंपरिक मिठाइयां लोग बाजार से खरीदते और खाते हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इन मिठाइयों में इस्तेमाल होने वाला तेल आपकी सेहत पर कितना गहरा असर डाल सकता है?
आजकल ज्यादातर मिठाइयां रिफाइंड ऑयल में बनती हैं और यही ‘मीठे’ का सबसे ‘कड़वा’ सच है। क्योंकि रिफाइंड ऑयल वह तेल होता है जिसे केमिकल्स, हाइड्रोजन गैस, ब्लीचिंग एजेंट्स और हाई टेम्परेचर से प्रोसेस किया जाता है ताकि उसका रंग, गंध और स्वाद आकर्षक दिखाई दे। यह प्राकृतिक तेलों जैसे सरसों, नारियल या तिल के तेल की तरह कोल्ड-प्रेस्ड या शुद्ध नहीं होता।
साधारण शब्दों में कहें तो यह अप्राकृतिक तौर पर साफ किया हुआ फैट है, जो शरीर के लिए बहुत नुकसानदायक है। रिफाइंड ऑयल में मिठाई बनाना स्वास्थ्य के लिए कई प्रकार से हानिकारक है।
सबसे पहले, गर्म करने पर इसमें ट्रांस फैट बनता है, जो हृदय रोग, मोटापा और ब्लड शुगर बढ़ाने का कारण बनता है। इसके अलावा, उच्च तापमान पर तेल की संरचना बदल जाती है और फ्री रेडिकल्स उत्पन्न होते हैं, जो कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं और त्वचा की चमक कम करने के साथ उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को तेज करते हैं।
रिफाइंड तेल में मौजूद केमिकल्स एंडोक्राइन सिस्टम को प्रभावित करते हैं, जिससे थायराइड और पीसीओडी जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं। लिवर को भी इन केमिकल्स और ट्रांस फैट को पचाने में अधिक मेहनत करनी पड़ती है, जिससे फैटी लिवर और पाचन विकार बढ़ सकते हैं।
साथ ही, मिठाइयों में पहले से ही चीनी अधिक होती है और रिफाइंड ऑयल में बनने पर इंसुलिन रेजिस्टेंस बढ़ जाता है, जिससे डायबिटीज का खतरा भी बढ़ता है।
आयुर्वेद की मानें तो शुद्ध देसी घी सबसे सुरक्षित विकल्प है, जो अच्छे फैट बढ़ाता है और पाचन को मजबूत करता है। कोल्ड-प्रेस्ड तेल, जैसे सरसों, नारियल, मूंगफली या तिल का तेल, केमिकल-मुक्त और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होते हैं। घर पर मिठाइयां बनाना, गुड़ या नारियल चीनी का उपयोग करना, फ्राई की बजाय बेक या भूनना और तेल को बार-बार गर्म न करना, ये सभी स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हैं।
आयुर्वेद के अनुसार तेल या घी केवल स्वाद नहीं बल्कि ओज और मानसिक संतुलन का स्रोत भी है। रिफाइंड तेल शरीर के वात, पित्त और कफ को असंतुलित करता है। इसमें कोई विटामिन, खनिज या एंजाइम नहीं बचते, इसे ‘डेड ऑयल’ कहा जाता है। इसलिए इस दीपावली स्वाद के साथ सेहत का ध्यान रखते हुए शुद्ध और प्राकृतिक तेलों का प्रयोग करें और मिठाई का आनंद सुरक्षित रूप से लें।