बांका विधानसभा सीट : कभी था कांग्रेस का मजबूत गढ़, अब क्षेत्र में भाजपा का दबदबा, इस बार जीत का चौका लगाने का मौका

0
10

पटना, 25 अक्टूबर (आईएएनएस)। बिहार के दक्षिण-पूर्वी सिरे पर स्थित बांका विधानसभा सीट बांका लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है। इसमें बांका शहर, आसपास का ग्रामीण क्षेत्र और बाराहाट प्रखंड शामिल है। यह क्षेत्र झारखंड की सीमा से सटा होने के कारण भौगोलिक और सांस्कृतिक रूप से झारखंड से मिलता-जुलता है। क्षेत्र का दक्षिणी हिस्सा पहाड़ी और ऊबड़-खाबड़ है, जबकि उत्तर में समतल भूमि फैली हुई है। यहां से बहने वाली चानन नदी आगे चलकर गंगा नदी में मिल जाती है।

बांका को फरवरी 1991 में भागलपुर से अलग कर एक स्वतंत्र जिला बनाया गया था। परंपरागत रूप से यह एक व्यावसायिक केंद्र रहा है, हालांकि वर्तमान में इसकी अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार कृषि है। जिले में मंदार पर्वत स्थित है, जिसे पौराणिक ‘समुद्र मंथन’ से जोड़ा जाता है। इसके अलावा, काली मंदिर (बधानियां) और तारा मंदिर (बाबूटोला ओढ़नी तट) स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं के बीच प्रसिद्ध हैं।

बांका विधानसभा क्षेत्र की स्थापना 1951 में हुई थी और अब तक यहां 20 विधानसभा चुनाव हुए हैं, जिनमें चार उपचुनाव शामिल हैं। राजनीतिक इतिहास पर नजर डालें तो भाजपा (जिसमें भारतीय जनसंघ की जीत भी शामिल है) ने आठ बार, कांग्रेस ने सात बार और राजद ने दो बार इस सीट पर जीत दर्ज की है। इसके अलावा, स्वतंत्र पार्टी और जनता पार्टी ने एक-एक बार सफलता पाई।

स्वतंत्रता के बाद शुरुआती सालों में कांग्रेस का प्रभुत्व रहा, लेकिन 1985 के बाद से पार्टी इस सीट पर जीत नहीं दर्ज कर पाई। पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रशेखर सिंह ही कांग्रेस के अंतिम विजेता रहे। इसके बाद से भाजपा और राजद का ही प्रभुत्व कायम रहा है। 2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के रामनारायण मंडल ने राजद के जावेद इकबाल अंसारी को हराकर लगातार तीसरी बार जीत दर्ज की थी।

जातिगत समीकरणों की बात करें तो मुस्लिम और यादव वोटर इस सीट पर निर्णायक भूमिका निभाते हैं। इसके साथ ही राजपूत, कोइरी और रविदास मतदाता भी अच्छी संख्या में हैं।

इस बार विधानसभा चुनाव में कुल 14 उम्मीदवार मैदान में हैं। भाजपा ने रामनारायण मंडल को उम्मीदवार बनाया है। जन स्वराज पार्टी ने कौशल कुमार सिंह को और सीपीआई ने संजय सिंह को मैदान में उतारा है।