पटना, 30 अक्टूबर (आईएएनएस)। बिहार की राजनीति में सियासी बयानबाजियों का दौर तेज हो गया है। आरजेडी नेता तेजस्वी यादव द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर की गई तीखी टिप्पणी को लेकर जेडीयू ने कड़ा विरोध जताया है। तेजस्वी ने एक बयान में कहा था कि ये लोग प्रण लेकर प्राण ले लेने वाले लोग हैं। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव मनीष वर्मा ने कहा कि तेजस्वी यादव जिस तरह की भाषा का प्रयोग कर रहे हैं, वह पूरी तरह अनुचित और असंवेदनशील है।
मनीष वर्मा ने गुरुवार को पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री का पद एक संवैधानिक पद है। इस पद की गरिमा और मर्यादा का ध्यान रखा जाना चाहिए। किसी भी नेता को, चाहे वह किसी भी दल से हो, इस तरह की भाषा का प्रयोग नहीं करना चाहिए। बिहार की जनता देख रही है कि तेजस्वी यादव किस तरह की भाषा बोल रहे हैं और राज्य के लोग इसे बिल्कुल पसंद नहीं करेंगे। उन्होंने आगे कहा कि राजनीतिक असहमति होना स्वाभाविक है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि नेता इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल करें जो लोकतंत्र की गरिमा को ठेस पहुंचाए।
मोकामा में जन सुराज पार्टी कार्यकर्ता दुलारचंद यादव की हत्या को लेकर सवाल किए जाने पर उन्होंने कहा कि उन्हें इस घटना की जानकारी नहीं है। मनीष वर्मा ने कहा कि पुलिस इस घटना पर काम कर रही है और दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। मजबूत और निष्पक्ष कार्रवाई की जाएगी।
तेजस्वी यादव द्वारा यह कहे जाने पर कि पैरोल पर जेल से बाहर निकालेंगे तो यही हाल होगा पर जेडीयू नेता ने कहा कि पैरोल पर जो भी बाहर आता है, वह कानूनी प्रक्रिया के तहत ही आता है। हर दल के लोगों पर मुकदमे होते हैं और वे कानून के अनुसार जेल जाते हैं या बाहर आते हैं। अब बिहार में जंगलराज की स्थिति नहीं है कि रात में अपराधी जेल से बाहर निकलें, अपराध करें और फिर जाकर जेल में सो जाएं।
बता दें कि मोकामा में गुरुवार को जन सुराज पार्टी से जुड़े दुलारचंद यादव की गोली मारकर हत्या कर दी गई। जानकारी के अनुसार, दो समूहों के बीच हुई फायरिंग के दौरान दुलारचंद यादव की मौत हो गई। जन सुराज पार्टी से जुड़े दुलारचंद यादव की हत्या का आरोप पूर्व विधायक अनंत सिंह के ऊपर लगा है। हालांकि, अनंत सिंह ने आरोपों को सिरे से खारिज किया है।
अनंत सिंह ने कहा कि वह अपने समर्थकों के साथ क्षेत्र में गए थे, जहां कुछ असामाजिक तत्वों ने उनके खिलाफ नारेबाजी और गाली-गलौज शुरू कर दी। इसके बावजूद उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और वहां से निकल गए। घटना के समय वहां मौजूद लोगों के पास पहले से हथियार थे। उन्होंने यह भी दावा किया कि यह पूरी रणनीति राजद नेता सूरजभान सिंह के द्वारा रची गई थी, ताकि वोटों को डिस्टर्ब किया जा सके।


