पटना, 31 अक्टूबर (आईएएनएस)। रफीगंज विधानसभा क्षेत्र बिहार के औरंगाबाद जिले के रफीगंज नगर में पड़ता है। रफीगंज नगर की स्थापना 19वीं सदी में एक जमींदार रफीउद्दीन अहमद के द्वारा की गई थी।
रफीउद्दीन ने धवा नदी के किनारे बसी इस बस्ती को अनाज के गोदाम के रूप में स्थापित किया और एक व्यापारिक केंद्र के रूप में तब्दील कर दिया।
भारतीय रेलवे के उल्लेखों में यह नगर रफी का गंज के नाम से दर्ज है, और 1892 तक यह पूरी तरह से रफीगंज हो गया। चुनाव आयोग द्वारा 2024 में जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार 387.58 वर्ग किमी के इस प्रखण्ड में रफीगंज की कुल आबादी 576805 है, जिसमें 303076 पुरुष और 273729 महिलाएं हैं।
रफीगंज विधानसभा क्षेत्र की स्थापना 1951 में हुई। यह औरंगाबाद लोकसभा सीट के छह खंडों में से एक है। स्थापना के बाद से 17 विधानसभा चुनावों में यहां कांग्रेस ने 6 बार और राजद और जेडीयू ने तीन‑तीन बार जीत हासिल की तो वहीं जनता पार्टी ने दो बार तथा स्वतंत्र पार्टी, सीपीआई, और भारतीय जन संघ ने एक‑एक बार जीत दर्ज की।
बिहार निर्वाचन आयोग के अनुसार, रफीगंज में कुल मतदाताओं की संख्या 339817 है, जिसमें से 178329 पुरुष मतदाता और 161488 महिला मतदाता हैं। इसके साथ ही विधानसभा क्षेत्र में थर्ड जेंडर मतदाताओं की संख्या शून्य है। आबादी के हिसाब से यहां मतदाताओं का अनुपात 0.59 है।
2020 में राजद के मोहम्मद निहालुद्दीन ने लोजपा‑समर्थित निर्दलीय प्रमोद कुमार सिंह को लगभग साढ़े नौ हजार वोट से हराया। जेडीयू के दो बार के पूर्व विधायक अशोक कुमार सिंह आधे मतों पर सिमट गए। 2024 लोकसभा में भी रफीगंज विधानसभा खंड पर राजद ने भाजपा पर 19 हजार से ज्यादा वोट की बढ़त बनाई।
रफीगंज विधानसभा क्षेत्र में सबसे बड़ी समस्याएं बेरोजगारी और पलायन हैं। इसके साथ ही सड़क, बिजली, पानी, कृषि-सिंचाई, शिक्षा, और स्वास्थ्य भी प्रमुख मुद्दे हैं। इस सीट से जदयू के प्रमोद कुमार सिंह का मुकाबला राजद के डॉ. गुलाम शाहिद से है।






