साझा सुरक्षा और सहयोग से ही संभव है सामूहिक समृद्धि: नौसेना उप प्रमुख

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नई दिल्ली, 3 नवंबर (आईएएनएस)। भारतीय नौसेना के डिप्टी चीफ ऑफ नेवल स्टाफ वाइस एडमिरल तरुण सोबती ने बताया कि भारतीय महासागर क्षेत्र कई समुद्री चुनौतियों का सामना कर रहा है। इसमें पायरेसी यानी समुद्री डकैती, अवैध तस्करी, मानव तस्करी, अवैध फिशिंग, पर्यावरणीय क्षरण और हाइब्रिड समुद्री सुरक्षा खतरे प्रमुख हैं।

उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में मध्य पूर्व में तनाव और गैर-राज्यीय तत्वों द्वारा जहाजों पर हमले ने यह दिखाया है कि वैश्विक समुद्री व्यापारिक मार्ग कितने संवेदनशील हैं। गल्फ ऑफ एडन में फिर से बढ़ती पायरेसी और रेड सी में सुरक्षा चिंताओं के कारण जहाजों के मार्ग बदलने से वैश्विक शिपिंग प्रभावित हुई है। इससे न केवल माल की देरी और नुकसान हुआ है बल्कि मौसम संबंधी घटनाओं की आवृत्ति भी बढ़ी है।

सोमवार को तीसरी समुद्री सूचना साझाकरण कार्यशाला (एमआईएसडब्ल्यू-2025) प्रारंभ की गई है। गुरुग्राम में आयोजित इस कार्यशाला में वाइस एडमिरल तरुण सोबती ने यह जानकारी साझा की।

उन्होंने कहा कि भारतीय महासागर क्षेत्र की सुरक्षा, स्थिरता और समृद्धि के लिए सभी देशों के बीच सहयोग, सूचना-साझेदारी और परस्पर विश्वास अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने बताया कि इस सम्मेलन में 29 देशों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। इसके अतिरिक्त, कई महत्वपूर्ण क्षेत्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति भी इस बात का प्रतीक है कि क्षेत्रीय साझेदारी किस तरह समुद्री सुरक्षा के लिए अहम भूमिका निभा रही है।

उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन वास्तव में वसुधैव कुटुंबकम की भावना का प्रतीक है, यहां विभिन्न देशों के प्रतिनिधि एक साझा उद्देश्य के लिए एक मंच पर एकत्र हुए हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय महासागर वैश्विक व्यापार की जीवनरेखा है और यह न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया के लिए सामरिक और आर्थिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है।

उन्होंने कहा कि हम सब एक समुद्री परिवार का हिस्सा हैं। हमारे बीच की भौगोलिक दूरी या सांस्कृतिक विविधता हमें विभाजित नहीं करती, बल्कि समुद्र हमें जोड़ता है। सहयोग और साझेदारी के माध्यम से ही हम इस साझा क्षेत्र की सुरक्षा और समृद्धि सुनिश्चित कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि समुद्री डकैती, अवैध तस्करी, मानव तस्करी, अवैध फिशिंग जैसी ये घटनाएं हमें यह समझाती हैं कि वैश्विक समुद्री चुनौतियां एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं और इनसे निपटने के लिए समन्वित और सामूहिक प्रयास आवश्यक हैं।

नौसेना के डिप्टी चीफ ने कहा कि भारत का विजन महासागर सामूहिक सुरक्षा, वैश्विक सहयोग और समावेशी विकास पर आधारित है। उन्होंने कहा कि भारत का मानना है कि राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक समृद्धि दोनों ही स्थिर और सुरक्षित समुद्री परिवेश से जुड़ी हैं।

उन्होंने बताया कि कार्यशाला के दौरान टेबल टॉप एक्सरसाइज का भी आयोजन किया जाएगा। यहां प्रतिभागी देश भारत में विकसित सॉफ्टवेयर के माध्यम से वास्तविक परिस्थितियों पर आधारित परिदृश्यों पर काम करेंगे। इससे सिद्धांत को व्यवहार से जोड़ने और सामूहिक प्रतिक्रिया प्रणाली को परखने में मदद मिलेगी।

उन्होंने यह भी कहा कि डिजिटल युग में आमने-सामने की बातचीत और विचार-विमर्श की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। ऐसी कार्यशालाएं न केवल सूचना-साझेदारी और समन्वय को मजबूत करती हैं बल्कि आपसी विश्वास और समझ को भी गहरा करती हैं। उन्होंने आशा जताई कि कार्यशाला के दौरान होने वाली चर्चाएं और अभ्यास हमारे आपसी संबंधों को और मजबूत करेंगे तथा भारतीय महासागर क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता के लिए नई दिशा तय करेंगे।