दक्षिण कोरिया: राष्ट्रपति ली ने सरकारी कंपनियों के निजीकरण संबंधी नियमों में बदलाव का आदेश दिया

0
9

सोल, 4 नवंबर (आईएएनएस)। दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ली जे म्युंग ने मंगलवार को सरकार को सरकारी कंपनियों के प्राइवेटाइजेशन से जुड़े नियमों में बदलाव का निर्देश दिया। उन्होंने तर्क दिया कि आम जनता की राय को इसमें अहमियत दी जाए।

ली ने ये सरकारी सम्पत्ति को बेचने से रोकने के लिए आपातकालीन निर्देश जारी करते हुए कैबिनेट बैठक में कही। दरअसल, ली का विचार था कि इन संपत्तियों को नुकसान में बेचा जा रहा है।

योनहाप न्यूज एजेंसी के मुताबिक, उन्होंने कहा, “ऐसे मामले सामने आए हैं जहां सरकार ने सार्वजनिक उद्यमों के निजीकरण को बहुत आसानी से और एकतरफा तरीके से किया है, जो आम जनता की राय के खिलाफ है, और कभी-कभी यह एक राजनीतिक मुद्दा बन जाता है।”

ली ने कहा कि जब वह डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता थे, तो उन्होंने सार्वजनिक उद्यमों के निजीकरण को रोकने या उसे प्रक्रिया के हिसाब से नियंत्रित करने के लिए एक प्रणाली शुरू करने की कोशिश की थी, लेकिन वह नाकाम रहे।

“निजीकरण के लिए बड़े सरकारी केंद्रों को निजी क्षेत्र के हाथों बेचने को लेकर आम लोगों की भावनाओं को देखते हुए, सरकार को एक ऐसे सिस्टम पर विचार करना चाहिए जिसमें आगे बढ़ने से पहले नेशनल असेंबली के साथ पूरी बातचीत हो या जनता की राय को ठीक से शामिल किया जाए।”

हाल ही में कोरिया एसेट मैनेजमेंट कॉर्प. का ऑडिट हुआ, जो सरकारी संपत्तियों का प्रबंधन करती है। इसमें सांसदों ने बताया कि सरकारी संपत्तियों को उनकी सही कीमत से कम में बेचे जाने के मामले बढ़ रहे हैं।

वहीं, ली जे म्युंग की सुरक्षा व्यवस्थाओं को लेकर विचार भी चर्चा में हैं। उन्होंने गुरुवार को कहा था कि दक्षिण कोरिया अपनी रक्षा क्षमताओं को काफी मजबूत करके एक आत्मनिर्भर सेना बनाने की योजनाओं को आगे बढ़ाएगा, साथ ही उत्तर कोरिया के साथ बातचीत फिर से शुरू करने की कोशिशें भी जारी रखेगा।

ली ने बजट भाषण में कहा, “हम अपनी राष्ट्रीय रक्षा क्षमताओं को काफी मजबूत करेंगे और आत्मनिर्भर बनने की अपनी उम्मीद को पूरा करेंगे।” उन्होंने कहा कि अगर दक्षिण कोरिया अपनी रक्षा क्षमताओं के लिए दूसरे देशों पर निर्भर रहता है तो “हमारे लोगों के मान” को ठेस लगेगी।

ली ने कहा कि दक्षिण कोरिया का लक्ष्य आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके अपनी रक्षा सेना को एक “स्मार्ट और मजबूत” सेना बनाना है।