भारत के फाइनेंशियल संस्थानों को मजबूत बनाए रखने के लिए स्ट्रक्चरल सुधार होंगे अहम

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    नई दिल्ली, 13 नवंबर (आईएएनएस)। बढ़ती राजनीतिक अनिश्चितताओं के बीच 2026 में ग्लोबल बैंक का आउटलुक स्थिर बना हुआ है। गुरुवार को आई एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत के फाइनेंशियल संस्थानों को मजबूत बनाए रखने के लिए स्ट्रक्चरल सुधार और अच्छी आर्थिक संभावनाएं महत्वपूर्ण कारक बन रहे हैं।

    एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स की रिपोर्ट में कहा गया है, “भारत का इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च और प्राइवेट कंजप्शन मजबूत इकोनॉमिक ग्रोथ को सपोर्ट करेगा। हम इकोनॉमी को लेकर अगले कुछ वर्षों में अच्छा प्रदर्शन देख रहे हैं। भारत का कम यूएस ट्रेड एक्सपोजर भी टैरिफ रिस्क को कम करने में मददगार बना हुआ है।”

    एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स के क्रेडिट एनालिस्ट इमैनुएल वोलैंड ने ग्लोबल बैंकिंग लैंडस्केप के बारे में कहा, “बैंक ऐसे उतार-चढ़ाव भरे समय में संचालन कर रहे हैं जब महत्वपूर्ण पॉलिसी डिसिजन और क्षेत्रीय संघर्ष का प्रभाव फाइनेंशियल मार्केट पर पड़ सकता है और इसका प्रभाव तेजी से बदलते इकोनॉमिक एनवायरमेंट को लेकर देखा जा सकता है।

    भारतीय फाइनेंशियल लैंडस्केप को लेकर फर्म का कहना है कि जेब में कम खर्च असुरक्षित पर्सनल लोन और माइक्रोफाइनेंस लोन को बढ़ा रहे हैं। वहीं, सुरक्षित रिटेल लोन के लिए अंडरराइटिंग स्टैंडर्ड हेल्दी बने हुए हैं।

    रिपोर्ट का अनुमान है कि ग्लोबल बैंक का क्रेडिट लॉस सालाना आधार पर 7.5 प्रतिशत बढ़कर 2026 में 655 अरब डॉलर हो जाएगा। इसके बाद इससे अगले वर्ष 2027 में क्रेडिट लॉस बढ़ने की गति धीमी हो जाएगी।

    चीन के माइक्रो एंड स्मॉल एंटरप्राइसेस के लिए लेंडिंग को लेकर टैरिफ से जुड़ी अनिश्चितताओं के कारण एशिया-प्रशांत क्षेत्र में इंक्रीमेंटल लॉस के बढ़ने का अनुमान लगाया जा रहा है।

    रिपोर्ट में कहा गया है कि हम इन घाटों को बैंक्स के लिए मैनेजेबल होने के रूप में देखते हैं।

    एसेट क्वालिटी, लाभप्रदता और अनुकूल मार्केट स्थितियों के साथ बैंक फाइनेंशियल के मैट्रिक्स सॉलिड बने हुए हैं। इसी के साथ अंत में क्रेडिट डायवर्जेंस के बढ़ने का अनुमान है।