पटना, 13 नवंबर (आईएएनएस)। बिहार में नीतीश कुमार के समर्थन में ‘टाइगर जिंदा है’ के स्लोगन वाले पोस्टरों पर राजद के प्रदेश प्रवक्ता एजाज अहमद ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “भाजपा ने खुद स्वीकार नहीं किया है कि ‘टाइगर जिंदा है।’ इसलिए जदयू भाजपा को याद दिलाने की कोशिश कर रही है कि नीतीश अब भी मौजूद हैं। शुक्रवार के बाद उन्हें (नीतीश को) अपने लिए एक नया टाइटल सोचना चाहिए।”
एजाज अहमद ने आईएएनएस से कहा, “भाजपा नीतीश कुमार को एकनाथ शिंदे में बदलना चाहती है, जबकि जदयू एक संदेश देने के लिए उन्हें ‘टाइगर’ के रूप में पेश करने की कोशिश कर रही है। यह दोनों के बीच एक नकली लड़ाई के अलावा कुछ नहीं है।”
राजद प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि बिहार की जनता ने महागठबंधन को जो वोट दिए हैं, वे जल्द ही वास्तविक आंकड़ों में दिखाई देंगे। हम ‘400 पार’ के नारे जैसे कथा आधारित आंकड़े नहीं गढ़ते। हम ऐसी परिस्थितियां गढ़ने में विश्वास नहीं रखते।”
बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर जारी एग्जिट पोल को लेकर राष्ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता ने कहा कि ये सर्वे पूरी तरह ‘मनगढ़ंत’ और ‘स्क्रिप्टेड’ हैं।
राजद प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा, “सबसे पहले तो यह कहना जरूरी है कि ये एग्जिट पोल भरोसेमंद नहीं हैं। इनमें यह तक साफ नहीं किया गया है कि किन लोगों से बात की गई, कितने लोगों का सर्वे हुआ या किन इलाकों में जनमत लिया गया। ऐसा लगता है जैसे पहले से तय स्क्रिप्ट के हिसाब से पूरा शो रचा गया हो।”
उन्होंने आगे कहा, “इन नतीजों के पीछे भाजपा की रणनीति और प्रचार मशीनरी का हाथ है। अमित शाह पहले ही 160 सीटें जीतने की बात कह चुके थे। अब देखिए, सभी एग्जिट पोल के आंकड़े उसी कहानी के आसपास घूम रहे हैं। भाजपा आईटी सेल ने जो आंकड़े दिए, वही ज्यादातर एजेंसियों ने बिना जांचे-परखे जनता के सामने रख दिए। यह सब जनता को भ्रमित करने की कोशिश है।”
एजाज अहमद ने दावा किया, “असली जनादेश पूरी तरह बदलाव के पक्ष में है। बिहार की जनता ने इस बार बदलाव के लिए वोट किया है। तेजस्वी यादव के नेतृत्व में लोगों ने नई उम्मीद देखी है। 7.2 मिलियन से अधिक मतदाताओं ने तेजस्वी यादव और राजद गठबंधन को समर्थन दिया है। जनता का मूड साफ है कि अब वे बेरोजगारी, महंगाई और भ्रष्टाचार से निजात चाहते हैं।”
उन्होंने कहा कि शुक्रवार को चुनाव के नतीजे सामने आएंगे और 18 नवंबर को ‘रोजगार और कलम’ की सरकार बनेगी।
अब सबकी नजरें चुनाव परिणामों पर टिकी हैं। क्या वाकई जनता ने बदलाव के लिए वोट किया है या एग्जिट पोल के आंकड़े सही साबित होंगे?

