उडुपी श्रीकृष्ण मंदिर: भक्त के आंसू देख भगवान ने तोड़ दी थी मंदिर की दीवार

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नई दिल्ली, 1 दिसंबर (आईएएनएस)। कहते हैं जब कोई नहीं सुनता तब भगवान सुनते हैं और सहायता के लिए आते हैं। इस मान्यता को कर्नाटक के उडुपी शहर में बना श्री कृष्ण मंदिर पूरा करता है।

माना जाता है कि यहां भक्त की करुण पुकार को सुनकर भगवान ने मंदिर की दीवार तोड़ दी थी और खुद को 180 डिग्री पर घुमा लिया था। ये मंदिर भक्त की भक्ति और भगवान की उदारता का प्रतीक है।

कर्नाटक के उडुपी शहर में श्री कृष्ण मठ के अंदर श्री कृष्ण मंदिर स्थित है। इस मंदिर की खास बात ये है कि यहां भक्त गर्भगृह में जाकर भगवान के दर्शन नहीं करते, बल्कि एक नौ छिद्रों वाली खिड़की से भगवान को निहारते हैं। भक्तों को ऐसा लगता है कि स्वयं भगवान कृष्ण मंदिर की खिड़की से उन्हें निहार रहे हैं। इस खिड़की को “नवग्रह कीटिका” भी कहा जाता है और इसे चांदी से बनाया गया है। भक्त झरोके से देखकर भगवान का अद्भुत दर्शन करते हैं।

पौराणिक कथा की मानें तो गरीब कनकदास भगवान श्री कृष्ण के बहुत बड़े भक्त थे। हर समय उनकी जुबान पर भगवान श्री कृष्ण का नाम रहता था। वे भगवान श्री कृष्ण के लिए खुद के बनाए हुए भजन भी गाते थे। ऐसे ही एक दिन हरि-हरि का नाम गाते-गाते वे उडुपी पहुंचे और मंदिर में भगवान के दर्शन की इच्छा जाहिर की, लेकिन गैर-ब्राह्मण होने की वजह से उन्हें मंदिर में प्रवेश नहीं मिला। अब रोते हुए कनकदास मंदिर के पीछे जाकर बैठ गए और विलाप करते हुए करुणा भरे स्वर से भगवान को पुकारने लगे। उन्होंने भजनों के माध्यम से भगवान को कहा कि उन्हें गैर-ब्राह्मण क्यों बनाया।

कनकदास की पुकार सुनकर भगवान श्री कृष्ण खुद को रोक नहीं पाए और गर्भगृह में खुद को 180 डिग्री घुमाकर मंदिर की दीवार तोड़ दी। माना जाता है कि दीवार में एक बड़ी सी दरार पड़ी और झरोका बन गया। स्वयं भगवान को अपने सामने देखकर कनकदास उनके चरणों में गिर पड़े। जब ये बात मंदिर के पुजारियों को पता चली तो उन्होंने कनकदास से माफी मांगी। इसी दिन से भक्त भगवान के गर्भगृह में जाकर नहीं, बल्कि झरोके से दर्शन करते हैं। इस झरोके को कनकदास का झरोका भी कहा जाता है। बाद में कनकदास के तमिल भजन बहुत प्रचलित हुए और आज भी उन्हें गाया जाता है।

हाल ही में इस मठ में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दर्शन के लिए पहुंचे थे और मठ के अंदर बने कई मंदिरों के दर्शन किए थे।