नई दिल्ली, 1 दिसंबर (आईएएनएस)। संसद के शीतकालीन सत्र में जहां सत्ता पक्ष एसआईआर प्रक्रिया को लेकर विपक्ष पर सदन की कार्यवाही बाधित करने का आरोप लगा रहा है, वहीं कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह ने सरकार और चुनाव आयोग पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने साफ कहा कि कांग्रेस को एसआईआर से कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन वर्तमान स्वरूप में लागू की जा रही प्रक्रिया पारदर्शी और तार्किक नहीं दिखती।
दिग्विजय सिंह ने मीडिया से बातचीत में कहा कि एसआईआर पहले भी किया जाता था और यह प्रक्रिया दो से चार महीने तक चलती थी। उस समय मतदाता को कोई फॉर्म नहीं भरना पड़ता था। बीएलओ घर-घर जाकर जानकारी लेता था और स्वयं ही वोट जोड़ देता था। 2003 तक एसआईआर नागरिकों को सहजता से वोट रजिस्टर करने का माध्यम था, लेकिन मौजूदा एसआईआर हमसे फॉर्म भरने और हमारी नागरिकता साबित करने के सबूत मांग रहा है। अगर नागरिकता की जांच करनी है तो उसके लिए सीएए कानून है, उसका इस्तेमाल करें। यह एसआईआर नहीं बल्कि ‘सीएए’ जैसा लग रहा है और इसी पर हमें आपत्ति है।
उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग के दिशानिर्देशों के अनुसार अगर एक ही घर में दस से अधिक लोगों के रहने का उल्लेख हो तो असिस्टेंट रिटर्निंग ऑफिसर को मौके पर जाकर सत्यापन करना अनिवार्य है, लेकिन इस मामले में 30 लोगों को उसी पते पर दिखाया गया, फिर भी कोई वेरिफिकेशन नहीं हुआ। ऐसी स्थिति में जवाबदेही तय होना जरूरी है।
दिग्विजय सिंह ने सवाल उठाया कि सरकार और चुनाव आयोग ऐसी अनियमितताओं को नजरअंदाज क्यों कर रहे हैं। जब तक इन विसंगतियों पर स्पष्टीकरण नहीं दिया जाता और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं होती, तब तक एसआईआर पर गंभीर संदेह बना रहेगा। उन्होंने कहा कि एसआईआर में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी देश की चुनावी प्रक्रिया को कमजोर करती है।




