नई दिल्ली, 1 दिसंबर (आईएएनएस)। भारत और सऊदी अरब के बीच वाणिज्यिक संबंध बेहद मजबूत है। दोनों देशों के बीच रक्षा, नवीकरणीय ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में साझेदारी है। भारत और सऊदी अरब के बीच का द्विपक्षीय संबंध मिडिल ईस्ट की नीतियों में अहम माना जाता है। हाल के कुछ वर्षों में भारत और सऊदी अरब के बीच आपसी संबंध और भी मजबूत हुए हैं।
भारत और सऊदी अरब के बीच 1947 में राजनयिक संबंध स्थापित हुए थे, जिसे 2010 में रियाद के घोषणापत्र के तहत एक रणनीतिक साझेदारी में बदल दिया गया। भारत सऊदी अरब का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है।
1947 में राजनयिक संबंध स्थापित होने के बाद 2006 में सऊदी किंग भारत पहुंचे थे। इस दौरान भारत और सऊदी अरब ने रियाद घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किया था। फिर 2010 में भारत के पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह सऊदी अरब पहुंचे थे और दोनों देशों के बीच रियाद घोषणापत्र पर हस्ताक्षर हुआ था।
पीएम मोदी ने 2016 में सऊदी अरब का दौरा किया था। पीएम मोदी को सऊदी अरब के सर्वोच्च नागरिक सम्मान किंग अब्दुलअजीज सैश से नवाजा गया। भारत और सऊदी अरब धार्मिक दृष्टिकोण से भी एक दूसरे के साथ मजबूती से जुड़े हुए हैं। हर साल भारी संख्या में भारतीय मुसलमान हज और उमराह पर सऊदी अरब जाते हैं। सऊदी अरब ने बीते कुछ सालों में भारतीय मुसलमानों के लिए हज कोटा में बढ़ोतरी की है।
हालिया समय में सऊदी अरब में भारत ने निवेश को बढ़ाया है। भारत सऊदी अरब का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, जबकि भारत उसका चौथा सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है। 2023-24 तक दोनों देशों के बीच 42.98 बिलियन अमेरिकी डॉलर का व्यापार हुआ। सऊदी अरब ने भारत में ऊर्जा, पेट्रोकेमिकल्स, इंफ्रास्ट्रक्चर, कृषि और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में निवेश किया है।
दोनों देशों के बीच भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (आईएमईसी) कॉरिडोर भी बन रहा है, जो भारत को मध्य पूर्व से होते हुए यूरोप तक जोड़ता है। यह कॉरिडोर समुद्र और रेल नेटवर्क से जुड़ा है। इससे मिडिल ईस्ट से लेकर यूरोप तक व्यापार का एक नया नेटवर्क बनेगा।
दोनों देशों के बीच ऊर्जा के क्षेत्र में भी निवेश पर बात बनी है। भारत और सऊदी अरब के बीच बीते कुछ समय में व्यापारिक संबंधों में तेजी से विकास देखने को मिला है।
सऊदी अरब में भारी संख्या में भारतीय रहते हैं। 26 लाख के आसपास भारतीय मूल के लोग सऊदी अरब में रहते हैं। कश्मीर के मुद्दे पर सऊदी अरब का रुख साफ रहा है। पाकिस्तान और तुर्किए से इतर सऊदी अरब ने हमेशा कहा है कि यह भारत का आंतरिक मामला है और भारत इससे निपटने में सक्षम है।




