मुंबई, 1 दिसंबर (आईएएनएस)। ग्वालियर शहर ने हमेशा कला और संस्कृति में अपनी खास पहचान बनाई है, और अब वहां के युवा कलाकारों की प्रतिभा को निखारने की दिशा में कुछ नए कदम उठाए जा रहे हैं। इसी कड़ी में बॉलीवुड और थिएटर के बहुआयामी कलाकार पीयूष मिश्रा ने अनुभव साझा किए। उन्होंने ग्वालियर के युवाओं के लिए कई प्रेरक बातें कहीं।
आईएएनएस को दिए इंटरव्यू में पीयूष मिश्रा ने कहा कि उनका करियर एक लंबे और लगातार प्रयास का परिणाम है। उन्होंने अपने जीवन के शुरुआती दिनों की याद दिलाते हुए कहा, ”मैं ग्वालियर से आया था और धीरे-धीरे अपने संघर्ष और मेहनत के दम पर ऊपर उठा। इस सफर को केवल देखकर ही लोग प्रेरणा ले सकते हैं। मैंने 40-50 साल पहले शुरू से शुरुआत की थी। आज मैं इतना बड़ा आदमी तो नहीं हूं, लेकिन जितना भी हूं और पहले कुछ भी नहीं था, यह सफर देखना पड़ेगा। दशकों तक काम करते रहना पड़ेगा। 40 साल तक लगातार काम करना होगा। स्टार बनने के लिए यह बेहद जरूरी है।”
ग्वालियर के कलाकारों और एक्टिंग स्कूल की आवश्यकता पर मिश्रा ने अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा, ”ग्वालियर में भी भोपाल और दिल्ली जैसी एक्टिंग स्कूलों की जरूरत है। शहर के युवा कलाकार सीखने और आगे बढ़ने के लिए हमेशा उत्सुक रहते हैं। अगर यहां एक्टिंग स्कूल खोले जाएं, तो ग्वालियर के लोग भी अपनी प्रतिभा को निखार सकते हैं और इंडस्ट्री में बेहतर मौके पा सकते हैं।”
धर्मेंद्र के निधन पर भी उन्होंने अपनी संवेदनाएं साझा की। मिश्रा ने कहा, ”यह जीवन का नियम है कि जो आता है, वह चला भी जाता है। धर्मेंद्र ने भारतीय सिनेमा में अपनी खास छवि बनाई और उनके जाने से इंडस्ट्री का एक युग का अंत हो गया। उनकी परंपरा और कार्य को आगे बढ़ाने का जिम्मा अब सभी कलाकारों और इंडस्ट्री पर है।”
उन्होंने कहा कि धर्मेंद्र की विरासत को बनाए रखने के लिए कलाकारों को लगातार सक्रिय और मेहनती रहना होगा।
पीयूष मिश्रा ने थिएटर से अपने करियर की शुरुआत की थी और बाद में फिल्मों, गीत लेखन और संगीत निर्देशन में अपनी छाप छोड़ी। ‘गगन दमामा बाज्यो’ जैसे नाटकों से लेकर फिल्मों जैसे ‘दिल से’, ‘गुलाल’, ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ और ‘शमशेरा’ तक, मिश्रा ने अपने अभिनय और गीत लेखन दोनों में ही आलोचकों और दर्शकों का दिल जीता। उन्होंने ना केवल अभिनय किया, बल्कि कई फिल्मों में गीत लिखे और कुछ गाए भी, जिससे उनकी कला का दायरा और भी बढ़ा।




