मध्य प्रदेश में 11 हजार कृष्ण भक्तों ने एक स्वर में किया गीता पाठ

0
3

भोपाल, 1 दिसंबर (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश में गीता जयंती के मौके पर अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव का आयोजन किया गया। इस मौके पर जहां सामूहिक गीता पाठ हुआ, वहीं एआई आधारित संगीत नाट्य ‘कृष्णायन’ का मंचन किया गया। साथ ही 11 हजार कृष्ण भक्तों ने एक स्वर में पाठ किया।

राजधानी के रविंद्र भवन में अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव का आयोजन किया गया। मुख्यमंत्री मोहन यादव उज्जैन और भोपाल में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में शामिल हुए। पहली बार एआई आधारित संगीत नाट्य ‘कृष्णायन’ का मंचन किया गया, जिसने दर्शकों को भगवान श्रीकृष्ण के दिव्य जीवन और उपदेशों की जीवंत अनुभूति कराई। इसके साथ ही विश्व गीता प्रतिष्ठानों द्वारा नृत्य नाटिका, दिव्यांग कलाकारों की अनूठी ‘गीता ऑन व्हील्स’ प्रस्तुति और आकर्षक चित्र प्रदर्शनी का आयोजन भी इस वर्ष के गीता जयंती आयोजन के मुख्य आकर्षण हैं।

इस मौके पर मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता एक अद्भुत, अनुपम और पवित्र ग्रंथ है। गीता के अध्ययन मात्र से ही मनुष्य के जीवन के सभी प्रश्नों और सभी जिज्ञासाओं का शमन (समाधान) हो जाता है। उन्होंने कहा कि गीता का ज्ञान ही सम्पूर्ण सृष्टि के समग्र ज्ञान और चेतना का मूल आधार है। योगीराज भगवान श्रीकृष्ण ने मानव जीवन को धर्म, कर्म और मर्म का वास्तविक मार्ग दिखाया है। गीता महोत्सव में श्रीकृष्ण आराधना एवं आचार्यों, संतों की सन्निधि में 11000 कृष्णमार्गियों, कृष्ण भक्तों, बटुकों, स्कूली विद्यार्थियों द्वारा एक स्वर में श्रीमद्भगवद्गीता के 15वें अध्याय का सुमधुर पाठ किया गया।

गीता के इस पुरुषोत्तम अध्याय के सस्वर पाठ ने पूरे वातावरण को आध्यात्मिक ऊर्जा से ओत-प्रोत कर दिया। धर्म, संस्कृति और तकनीक के इस अनूठे आयोजन ने गीता की शिक्षाओं को नए आयामों में प्रस्तुत किया। साथ ही समाज में गीता के मूल्यों के प्रति नई चेतना का जागरण भी किया।

मुख्यमंत्री यादव ने कहा कि गीता जयंती के पावन पर्व पर ऐसा लग रहा है कि गोपाल कृष्ण हमारे आसपास ही विद्यमान हैं। बीते वर्ष लाल परेड ग्राउंड पर 3500 विद्यार्थियों ने एक साथ गीता पाठ कर अद्भुत रिकॉर्ड बनाया था। इस गीता जयंती पर प्रदेश के सभी 55 जिलों, 10 संभागों और 313 विकासखंडों में करीब 3 लाख से अधिक गीता पाठियों के 15वें अध्याय के सस्वर पाठ से अद्वितीय रिकार्ड बनेगा।

उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने कंस को मारने के बाद अपने जीवन में शिक्षा को सर्वोपरि रखा। भारत में 5 हजार वर्ष पहले से विद्यार्थियों के लिए गुरुकुल जाकर शिक्षा ग्रहण करने की व्यवस्था थी। भगवान श्रीकृष्ण भी उज्जैन के सांदीपनि आश्रम आए और यहां पर चारों वेद, सभी उपनिषद्, 64 कलाएं और 14 विद्याएं सीखीं। भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा की अमर मित्रता की नींव मध्यप्रदेश की धरा में स्थित इसी आश्रम में पड़ी थी।

मुख्यमंत्री यादव ने कहा कि राज्य सरकार भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं से जुड़े प्रत्येक स्थान को तीर्थस्थल के रूप में विकसित कर रही है। भगवान श्रीकृष्ण के चरण जहां-जहां पड़े उसे रेखांकित करते हुए ‘श्रीकृष्ण पाथेय’ का रूप दिया जा रहा है। इसी के साथ प्रदेश के सभी नगरीय निकायों में सामुदायिक भवनों की आवश्यकता की पूर्ति करने वाले गीता भवन तैयार किए जा रहे हैं। प्रदेश का पहला गीता भवन इंदौर के राजवाड़ा में बनकर तैयार है।

गृह, संस्कृति एवं पर्यटन के अपर मुख्य सचिव शिवशेखर शुक्ला ने कहा कि प्रदेश में सांस्कृतिक आयोजनों को नई दिशा मिली है। गीता जयंती के अवसर पर आज उज्जैन में 11 हजार भक्तों ने श्रीमद्भगवद्गीता के 15वें अध्याय का सस्वर पाठ किया। उन्होंने कहा कि तीन लाख से अधिक गीता पाठियों द्वारा एक ही दिन में गीता पाठ कर नया रिकार्ड कायम किया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार गीता को घर-घर तक पहुंचाने के लिए पूर्ण मनोयोग से काम कर रही है।