केंद्र सरकार घरेलू स्तर पर फार्मा इंग्रेडिएंट्स की मैन्युफैक्चरिंग का तेजी से कर रही विस्तार

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नई दिल्ली, 3 दिसंबर (आईएएनएस)। बल्क ड्रग्स के लिए पीएलआई स्कीम के तहत इस वर्ष सितंबर तक साढ़े तीन वर्षों में कुल 4,763.34 करोड़ रुपए का निवेश किया गया है और ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट्स में छह वर्ष की अवधि में 4,329.95 करोड़ रुपए की निवेश प्रतिबद्धता है।

बल्क ड्रग्स के लिए पीएलआई स्कीम का उद्देश्य उन महत्वपूर्ण दवाओं को बनाने में इस्तेमाल होने वाले महत्वपूर्ण एपीआई की सप्लाई से जुड़ी बाधाओं को खत्म करना है, जिनका कोई दूसरा विकल्प मौजूद नहीं है। इस तरह की दवाओं के लिए महत्वपूर्ण एपीआई को लेकर एक ही सोर्स पर बहुत ज्यादा निर्भरता की वजह से इनकी सप्लाई में बाधाएं पैदा होती हैं। इस स्कीम के लिए 6,940 करोड़ रुपए का बजटीय परिव्यय रखा गया है।

केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में बताया कि 26 केएसएम/डीआई/एपीआई के लिए उत्पादन क्षमताओं का भी निर्माण किया गया है, जिनका पहले आयात किया जाता था। स्कीम के परिणामस्वरूप इस वर्ष सितंबर तक 2,315.44 करोड़ रुपए की कुल बिक्री दर्ज की गई है, जिसमें 508.12 करोड़ रुपए का निर्यात 1,807.32 करोड़ रुपए के आयात को कम करने के लिए शामिल है।

केंद्रीय राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल के अनुसार, फार्मा सेक्टर में निवेश और प्रोडक्शन बढ़ाने के साथ भारत की मैन्युफैक्चरिंग क्षमताओं को बढ़ाने के लिए ‘फार्मास्यूटिकल्स के लिए पीएलआई स्कीम’ का बजटीय परिव्यय 15,000 करोड़ रुपए है। वहीं, इस वर्ष सितंबर तक योजना की छह वर्ष की अवधि में लक्षित 17,275 करोड़ रुपए के प्रतिबद्ध निवेश से ब्राउनफील्ड और ग्रीनफील्ड दोनों परियोजनाओं में योजना उत्पादन अवधि के साढ़े तीन वर्षों में किए गए 40,890 करोड़ रुपए के संचयी निवेश के साथ, काफी हद तक पार हो चुका है।

इसके अलावा, इस स्कीम के तहत 726 केएसएम/डीआई/एपीआई मैन्युफैक्चर किए गए हैं। स्कीम के तहत इस वर्ष सितंबर तक उत्पादित केएसएम/डीआई/एपीआई की कुल घरेलू बिक्री 26,123 करोड़ रुपए रही।