नई दिल्ली, 3 दिसंबर (आईएएनएस)। भारत के प्रथम राष्ट्रपति और देशरत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद की 141वीं जयंती के मौके पर पूरे देश में उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। बुधवार को राष्ट्रपति भवन में एक विशेष समारोह रखा गया, जहां राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें नमन किया। उन्होंने इसकी तस्वीरें सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म ‘एक्स’ पर भी साझा कीं और देशवासियों को डॉ. राजेंद्र प्रसाद के महान योगदान की याद दिलाई।
वहीं, उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने भी ‘एक्स’ पर पोस्ट लिखकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि भारत के पहले राष्ट्रपति और स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेताओं में से एक डॉ. राजेंद्र प्रसाद की जयंती पर देश गर्व महसूस करता है। संविधान सभा के अध्यक्ष के रूप में डॉ. प्रसाद ने बेहद समझदारी, धैर्य और विनम्रता के साथ देश के संविधान को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने आगे लिखा कि भारत के प्रथम राष्ट्रपति चुने जाने के बाद भी डॉ. राजेंद्र प्रसाद का जीवन सादगी और ईमानदारी का प्रतीक रहा। वे हमेशा लोकतांत्रिक मूल्यों और जनता की सेवा को सर्वोपरि मानते थे। उनका पूरा कार्यकाल इस बात का उदाहरण है कि सत्ता में रहते हुए भी एक व्यक्ति कितनी विनम्रता और ईमानदारी से देश की सेवा कर सकता है।
3 दिसंबर, 1884 को बिहार के जिरादेई में जन्मे राजेंद्र प्रसाद न केवल एक महान नेता थे, बल्कि एक शिक्षाविद, लेखक और अत्यंत संवेदनशील व्यक्ति भी थे। स्वतंत्रता आंदोलन में उनका योगदान अतुलनीय रहा। वे महात्मा गांधी के बेहद करीबी थे और उनके सिद्धांतों पर पूरे जीवन चलते रहे। चाहे चंपारण सत्याग्रह हो या नमक सत्याग्रह, डॉ. प्रसाद हर संघर्ष में देशवासियों के साथ खड़े रहे।
राजेंद्र प्रसाद आजाद भारत के पहले राष्ट्रपति के रूप में चुने गए। उनका कार्यकाल 26 जनवरी, 1950 से 13 मई, 1962 तक का था। आज उनकी जयंती के अवसर पर देशभर में कई कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिनमें लोगों ने उनके विचारों और जीवन से जुड़ी बातें साझा की।

