धर्म बदलकर आरक्षण का लाभ लेने वालों पर कठोर कार्रवाई हो : अयोध्या के संत

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अयोध्या, 3 दिसंबर (आईएएनएस)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया है कि वह ईसाई धर्म अपनाने वाले व्यक्तियों को अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित लाभ प्राप्त करने से रोकने के लिए एक व्यापक राज्यव्यापी जांच शुरू करे। इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस आदेश पर अयोध्या के साधु-संतों ने खुशी जाहिर की है।

जगद्गुरु परमहंस आचार्य ने आईएएनएस से बातचीत में कहा कि यह अत्यंत अपराध की श्रेणी में आता है कि जो लोग ओबीसी या दलित से मुस्लिम, ईसाई या अन्य धर्म या मजहब में चले गए और दलितों के आरक्षण का लाभ ले रहे हैं। जिन्होंने ऐसा किया है, उन पर कार्रवाई होनी चाहिए। हाईकोर्ट के इस आदेश का मैं स्वागत करता हूं। पूरे देश में इसकी जांच होनी चाहिए।

उन्होंने प्रधानमंत्री से मांग की है कि अगर कोई दलित समुदाय से मुस्लिम या ईसाई बनकर आरक्षण का लाभ लेकर नौकरी कर रहा है या किसी संवैधानिक पद पर है तो उसे बर्खास्त कर देना चाहिए।

सीताराम दास जी महाराज का कहना है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले का हम स्वागत करते हैं। जो लोग दलित समुदाय से अन्य धर्म में जा रहे हैं, ये लोग आस्था को चोट पहुंचाने का काम करते हैं। ऐसे लोगों की जांच होनी चाहिए, सबकी सच्चाई सामने आएगी। सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही नहीं, पूरे भारत में इसकी जांच होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि ऐसे लोग अपने धर्म के नहीं होते, दूसरे धर्म के भी नहीं होते। धर्म बदलने के बाद भी आरक्षण लेने वालों की जांच होनी चाहिए। ये लोग समाज को तोड़ने का काम करते हैं, समाज में नफरत फैलाते हैं और भारत की अखंडता को समाप्त करते हैं। कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए।

महामंडलेश्वर विष्णु दास का कहना है कि ऐसे दूषित मानसिकता के लोग सरकार को गुमराह कर रहे हैं। मैं तो यह भी मांग करता हूं कि न सिर्फ इनकी पहचान हो, बल्कि कठोर कार्रवाई होनी चाहिए। इन्हें जेल में भेजना चाहिए। हाईकोर्ट के इस निर्णय की हम सराहना करते हैं। जांच करके जिले में ऐसी हरकतें करने वालों पर कार्रवाई की जाए और उनकी संपत्ति को जब्त किया जाए।