अहमदाबाद, 3 दिसंबर (आईएएनएस)। अहमदाबाद के रिवरफ्रंट इवेंट सेंटर में 7 दिसंबर को बीएपीएस संस्था के ‘प्रमुखवरणी अमृत महोत्सव’ का भव्य मुख्य समारोह आयोजित किया जाएगा। इस खास मौके पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह मुख्य अतिथि होंगे। इस अवसर पर प्रमुख स्वामी महाराज के सम्मान में साबरमती के जल पर 75 नावें सजाई जाएंगी, जो उनके जीवन के उच्च आदर्शों और गुणों का प्रतीक होंगी।
ज्ञानवत्सल स्वामी ने बताया कि यह महोत्सव प्रमुखवरणी अमृत महोत्सव के रूप में आयोजित किया गया है ताकि प्रमुख स्वामी महाराज को उनके बीएपीएस संस्थान के प्रमुख बनने की 75वीं वर्षगांठ पर श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। उन्होंने पूरे जीवन में हमारी भारतीय संस्कृति, सनातन धर्म और सांस्कृतिक मूल्यों को पूरे विश्व में फैलाने का अद्भुत योगदान दिया है। खासतौर पर सेवा के क्षेत्र में उनके योगदान की कोई तुलना नहीं की जा सकती। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य, राहत कार्यों, आदिवासी उत्थान, पिछड़े वर्गों के उत्थान और बाल और युवा संस्कार सहित हर क्षेत्र में गहरा योगदान दिया है।
यह आयोजन मुख्य रूप से उनके जीवन के संतत्व और उनके सेवा कार्यों की स्मृति में आयोजित किया गया है। साबरमती रिवरफ्रंट पर सजाई गईं 75 नावें, ग्लो फ्लावर्स और डेकोरेटिव फ्लोट के जरिए यह संदेश देंगी कि हमें अपने जीवन को अच्छे गुणों और नैतिक मूल्यों से सजाना चाहिए। इस महोत्सव की अध्यक्षता बीएपीएस के वर्तमान गुरुदेव, परम पूज्य महंत स्वामीजी महाराज करेंगे। इस अवसर पर गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल और उपमुख्यमंत्री हर्ष संघवी भी उपस्थित रहेंगे। हजारों की संख्या में हरिभक्त इस आयोजन का हिस्सा बनेंगे।
उन्होंने बताया कि 75 साल की इस यात्रा की शुरुआत अहमदाबाद के एक छोटे से इलाके, आंभलीवाली पोल से हुई थी। यही वह जगह है, जहां प्रमुख स्वामी महाराज ने संत की दीक्षा प्राप्त की और त्याग व समर्पण की शिक्षा ग्रहण की। उन्होंने वहीं से अपने जीवन की यात्रा शुरू की और धीरे-धीरे अपनी सेवाओं और शिक्षाओं को पूरे विश्व में फैलाया। आज उनका योगदान सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि उन्होंने पांचों महाद्वीपों और सातों समुद्रों के किनारे भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म का संदेश फैलाया है।
उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में अनेक विद्यालय और विश्वविद्यालय स्थापित किए ताकि हर बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके। स्वास्थ्य और आरोग्य सेवाओं में उन्होंने अनगिनत अस्पताल और मेडिकल कैंप चलाए जिससे गरीब और जरूरतमंद लोगों को चिकित्सा सुविधा मिल सके। प्राकृतिक आपदाओं और आपातकालीन स्थितियों में राहत कार्यों के जरिए उन्होंने समाज के हर हिस्से में सेवा की मिसाल कायम की। आदिवासी उत्थान और पिछड़े वर्गों के लिए उनके कार्य उनकी दूरदर्शिता और करुणा को दर्शाते हैं।
बाल और युवा संस्कार पर उनका ध्यान भी अद्वितीय रहा। उन्होंने युवा पीढ़ी को नैतिक मूल्यों, नेतृत्व और सेवा भाव के साथ विकसित करने के लिए अनेक प्रशिक्षण कार्यक्रम और संस्थान स्थापित किए। उनकी यात्रा यह दिखाती है कि एक साधारण जगह से निकलकर किस प्रकार से संकल्प, समर्पण और सेवा के जरिए वैश्विक स्तर पर योगदान दिया जा सकता है।
साबरमती का यह तट न सिर्फ एक स्थल है, बल्कि प्रमुख स्वामी महाराज की जीवन यात्रा का प्रतीक भी है। यही वह जगह है, जहां से उनके आदर्शों और सेवा का दीपक जलाया गया। 7 दिसंबर का यह आयोजन सिर्फ एक वर्षगांठ नहीं है, बल्कि उनके जीवन के गुणों और सेवा कार्यों की स्मृति में समाज को प्रेरित करने वाला महोत्सव है। इस दिन हजारों हरिभक्त उनके जीवन के गुणों को याद करेंगे, नई ऊर्जा और प्रेरणा पाएंगे, और अपने जीवन में अच्छे गुणों को अपनाने का संदेश लेंगे।

