कुमारस्वामी ने स्कूलों में गीता पाठ की वकालत को सही ठहराया, युवाओं में बढ़ती नशाखोरी को बताया वजह

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नई दिल्ली, 8 दिसंबर (आईएएनएस)। देशभर के स्कूलों के पाठ्यक्रम में हिंदू धर्मग्रंथ भगवद्गीता को शामिल करने के सुझाव पर आलोचनाओं का दौर शुरू हो गया है। इसी बीच, केंद्रीय भारी उद्योग एवं इस्पात मंत्री एच.डी. कुमारस्वामी ने सोमवार को अपने बयान का बचाव किया। उन्होंने कहा कि युवाओं में तेजी से बढ़ रही नशाखोरी को देखते हुए नैतिक मूल्यों और सकारात्मक सोच को बढ़ावा देने के लिए गीता का अध्ययन जरूरी है।

अपने दिल्ली स्थित आवास कार्यालय में प्रेस वार्ता के दौरान कुमारस्वामी ने कहा, “कर्नाटक में विशेषकर बेंगलुरु के युवा नशे की गिरफ्त में फंसते जा रहे हैं। रेव पार्टियों में रातभर ड्रग्स की आपूर्ति होती है। युवाओं को इस खतरनाक रास्ते से दूर करने के इरादे से मैंने कहा कि स्कूली शिक्षा के दौरान बच्चों को भगवद्गीता पढ़ाई जानी चाहिए। इसमें गलत क्या है?”

उन्होंने स्पष्ट किया कि गीता सिर्फ हिंदू समुदाय के लिए नहीं, बल्कि सभी बच्चों को पढ़ाई जानी चाहिए, क्योंकि यह एक मूल्य-आधारित और स्वस्थ समाज निर्माण में योगदान दे सकती है।

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और मंत्री एच.सी. महादेवप्पा की आलोचनाओं पर पलटवार करते हुए कुमारस्वामी ने कहा, “क्या अच्छी बातें कहना, सही सोच को बढ़ावा देना और बच्चों में सकारात्मक मूल्य डालना मनुवाद कहलाता है? क्या शिक्षा मंत्री को पत्र लिखकर गीता पढ़ाने का अनुरोध करना कोई अपराध है?”

कुमारस्वामी ने कहा कि वह गीता, रामायण और महाभारत का अध्ययन कर चुके हैं और गांधीजी भी भगवद्गीता से अत्यधिक प्रेरित थे। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान गीता के 63वें श्लोक का भी पाठ किया।

उन्होंने कहा कि कर्नाटक तेजी से ड्रग तस्करी का केंद्र बनता जा रहा है और नशा युवकों को भटका रहा है। उन्होंने कहा, “ड्रग्स खुलेआम स्कूल-कॉलेजों के आसपास बेचे जा रहे हैं। पुलिसकर्मियों तक के अपराध में शामिल होने की खबरें सामने आ रही हैं। मंत्री महादेवप्पा को सोचना चाहिए कि ऐसी स्थिति क्यों बनी।”

कुमारस्वामी ने कहा कि भगवद्गीता शांति, अनुशासन और आत्मसंयम का संदेश देती है तथा व्यक्तित्व निर्माण में सहायक है। उन्होंने कहा, “मैंने कभी किसी को मनुवादी बनने को नहीं कहा। केवल यह कहा कि गीता अच्छे संस्कार देती है। फिर इसे तोड़-मरोड़कर पेश करने की जरूरत क्या है?”

उन्होंने बताया कि शिवमोग्गा में आयोजित एक गीता जागरूकता कार्यक्रम में संतों, विद्वानों और अभिभावकों ने भी गीता को पाठ्यक्रम में शामिल किए जाने का समर्थन किया था, जिसके बाद उन्होंने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को पत्र लिखा।

उन्होंने पूछा, “क्या मैंने कभी कहा कि बच्चों को संविधान के बारे में न पढ़ाया जाए?”