विधानसभा चुनाव से पहले पूरा होगा दूसरे चरण का काम, स्टालिन सरकार ने तेज की ‘कलैग्नार कनवु इल्लम’ आवास योजना की रफ्तार

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चेन्नई, 21 दिसंबर (आईएएनएस)। आगामी साल 2026 में राज्य में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और चुनावों में जनता को साधने के लिए डीएमके सरकार ने कलैग्नार कनवु इल्लम आवास योजना की रफ्तार को बढ़ा दिया है।

अब योजना के दूसरे चरण को पूरा करने के लिए तेजी से काम किया जा रहा है। बता दें कि यह 3,500 करोड़ रुपये की योजना है जिसका मकसद पूरे ग्रामीण तमिलनाडु में झोपड़ियों की जगह पक्के घर बनाना है।

कलैग्नार कनवु इल्लम आवास योजना पर जानकारी देते हुए अधिकारियों की तरफ से कहा गया कि निर्माण कार्य अंतिम चरण में पहुंच गया है, जिसमें 25,657 परिवार पहले ही नए बने घरों में रहने लगे हैं और 74,343 अन्य यूनिट्स भी जल्द ही पूरी होने वाली हैं। सरकार की तरफ से वादा किया गया था कि फरवरी के पहले हफ्ते तक सभी को घर मुहैया करा दिए जाएंगे और ये वादा जल्द प्रशासन पूरा करने वाला है।

पंचायत राज और ग्रामीण विकास विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पुष्टि करते हुए बताया कि “दूसरा चरण फरवरी की शुरुआत तक पूरी तरह से पूरा हो जाएगा। चीफ सेक्रेटरी एन. मुरुगानंदन और प्रिंसिपल सेक्रेटरी गगनदीप सिंह बेदी हर हफ्ते रिव्यू कर रहे हैं। घर बनाने के तरीके को भी बारीकी से ट्रैक किया जा रहा है।

बता दें कि तमिलनाडु सरकार ने मार्च 2024 में कलैग्नार कनवु इल्लम आवास योजना 2030 को शुरू किया था। इसका लक्ष्य राज्य में रह रहे सभी ग्रामीण और गरीब लोगों को पक्का घर देना है। इसके लिए राज्य सरकार ने ‘झोपड़ी-मुक्त तमिलनाडु’ बनाने का स्लोगन भी पेश किया था। सरकार के एक सर्वे में पूरे राज्य में लगभग आठ लाख झोपड़ियों का पता चला था, जिससे आवास की कमी का पैमाना सामने आया। इस आवासीय स्थिति को सुधारने के लिए लगातार सरकार प्रयास कर रही है।

इस योजना की खास बात ये है कि घर बनाने का काम सरकार ने किसी कंपनी को नहीं दिया है, बल्कि चयनित गरीब परिवार ही घरों का निर्माण कार्य कराते हैं। सरकार की तरफ से चुने हुए परिवारों के खातों में चार किस्तों में सीधे तौर पर पैसे भेजे जाते हैं और समय-समय पर काम की गुणवत्ता की भी जांच होती है। अभी तक हर परिवार को 3.5 लाख रुपये की सहायता मिली है।

अधिकारियों ने बताया कि इस तरीके से देरी की गुंजाइश कम हुई है और लाभार्थियों को क्वालिटी और समय-सीमा पर ज़्यादा कंट्रोल मिला है। इस योजना की काफी मांग है, खासकर उत्तरी ज़िलों जैसे तिरुवन्नामलाई, कुड्डालोर और विलुप्पुरम और पूरे डेल्टा क्षेत्र में। यहां झोपड़ियों की संख्या बहुत ज्यादा है।