कैनबरा, 22 दिसंबर (आईएएनएस)। ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के उस आरोप को खारिज किया, जिसमें नेतन्याहू ने सिडनी के बोंडी बीच पर हुए हमले की वजह फिलिस्तीन को मान्यता देना बताया था। उन्होंने कहा गोलीबारी चरमपंथी विचारधारा का परिणाम थी।
14 दिसंबर को गोलीबारी के कुछ घंटे बाद ही इजरायली प्रधानमंत्री ऑस्ट्रेलिया पर हमलावर थे। नेतन्याहू ने 15 दिसंबर को बयान दिया कि ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने एंटी-सेमिटिज्म को रोकने के लिए कुछ नहीं किया और फिलिस्तीन को मान्यता देकर “आतंकवाद को इनाम” दिया, जो इस हमले का कारण बना।
उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलिया की नीतियां “कमजोरी की जगह कमजोरी और तुष्टिकरण की जगह तुष्टिकरण” हैं।
सोमवार को अल्बनीज ने पत्रकार वार्ता में (बोंडी बीच त्रासदी के एक हफ्ते बाद) कहा कि वो ऐसी किसी भी बात से इत्तेफाक नहीं रखते। फिलिस्तीन को मान्यता देने से इस हमले का कोई लिंक नहीं है।
अल्बनीज ने कहा, “यह आईएसआईएस से प्रेरित हमला था। हम जानते हैं कि आईएसआईएस एक विचारधारा है, इस्लाम का एक विकृत रूप जिसे मूल रूप से किसी भी राष्ट्र की मान्यता से कोई लेना देना नहीं है; यह एक खिलाफत चाहता है।”
उन्होंने कहा कि सोमवार सुबह अदालत द्वारा अधिक विवरण जारी किए जाने के बाद अब वह अधिक व्यापक प्रतिक्रिया देने में सक्षम हैं।
पीएम अल्बनीज ने आगे कहा, “यह एक चरमपंथी विचारधारा है जो अपने लक्ष्य के रूप में एक खिलाफत चाहती है। अब सबूत हैं… जिनमें से कुछ, निश्चित रूप से, अभी तक सार्वजनिक नहीं हैं, और मैं उन जांचों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहता, लेकिन यह बहुत स्पष्ट है कि यह यहूदी विरोधी है।
“यह स्पष्ट है कि यह इस्लाम के एक विकृत रूप की एक चरमपंथी स्थिति है, जो आईएसआईएस से करीब है। ये लोग अपनी प्रेरणा को लेकर शर्मसार भी नहीं होते।
अल्बनीज के मुताबिक लोगों को उन तथ्यों पर नजर रखनी होगी।
14 दिसंबर 2025 को हुई, दो हमलावरों ने बोंडी बीच पर हनुक्का उत्सव मना रहे यहूदी समुदाय पर गोलीबारी की, जिसमें 15 लोगों की मौत हो गई (एक बच्चे सहित) और कई घायल हो गए थे।
16 दिसंबर को अल्बनीज ने घोषणा की थी कि सरकार हेट स्पीच और हिंसा भड़काने पर आपराधिक कार्रवाई करेगी, नाजी सैल्यूट पर प्रतिबंध लगाएगी, यहूदी स्थलों की सुरक्षा के लिए फंडिंग बढ़ाएगी और गन लॉ को सख्त करेगी।
ऑस्ट्रेलिया ने सितंबर 2025 में फिलिस्तीन को देश के रूप में मान्यता दी थी, जो दो-राज्य समाधान, गाजा में युद्धविराम और हमास द्वारा बंधकों की रिहाई के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रयास का हिस्सा था।

