नागपुर, 22 दिसंबर (आईएएनएस)। ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ का प्राचीन मंदिर बना है। यहां पूरी दुनिया से भक्त दर्शन करने आते हैं। वहीं, जगन्नाथ मंदिर की तर्ज पर ही नागपुर में एक प्राचीन छोटा श्री जगन्नाथ मंदिर मौजूद है, जिसकी तुलना पुरी के श्री जगन्नाथ मंदिर से की जाती है। खास बात ये है कि मंदिर के गर्भगृह में सिर्फ अकेले भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की पूजा नहीं होती, बल्कि स्वयं महादेव भी विराजमान हैं।
महाराष्ट्र के नागपुर में क्वेवता कॉलोनी के पास 250 साल पुराना श्री जगन्नाथ मंदिर है, जिसकी महिमा पुरी के जगन्नाथ मंदिर जितनी ही बताई जा जाती है। स्थानीय लोगों का कहना है कि जो लोग पुरी जाकर भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के दर्शन नहीं कर सकते, वे इस मंदिर में आकर आशीर्वाद ले सकते हैं। मंदिर के गर्भगृह में मौजूद भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की प्रतिमाएं भी हूबहू पुरी के जगन्नाथ मंदिर जैसी ही अधूरी हैं, और प्रतिमाओं की बड़ी-बड़ी आंखें भक्तों को मोहित करती हैं।
खास बात ये है कि मंदिर में पूजा और प्रसाद के लिए उन्हीं प्राचीन पद्धतियों का इस्तेमाल किया जाता है, जो पुरी में होती हैं। भगवान जगन्नाथ को भोज लगाने से लेकर शयन कराने तक, सारी प्रक्रिया सेम है। इसी साल मंदिर में भगवान की रथ यात्रा भी निकाली गई थी और रथ का निर्माण भी नागपुर के कारीगरों ने किया था। हर साल निकलने वाली रथ यात्रा में हजारों की संख्या में लोग शामिल होते हैं।
मंदिर में रथ यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ को प्रसन्न करने के लिए महाप्रसाद भी बनाया जाता है, जिसे बाद में श्रद्धालुओं में वितरित कर दिया जाता है। मंदिर का निर्माण ज्यादा पुराना नहीं है क्योंकि मंदिर की मरम्मत समय-समय पर होती रही है। मंदिर के अंदर कई छोटे-छोटे मंदिर बने हैं, जिनमें भगवान गणेश, मां दुर्गा, और भगवान हनुमान को स्थान दिया गया है, लेकिन मंदिर के गर्भगृह में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र, और सुभद्रा की प्रतिमाओं के साथ भगवान शिव को भी स्थापित किया गया है। भक्त यहां मंदिर में एक साथ सृष्टि के रचयिता और संहारकर्ता के दर्शन एक साथ करते हैं, और यही कारण है कि यह मंदिर बाकी मंदिरों से अनोखा है।

