नई दिल्ली, 23 दिसंबर (आईएएनएस)। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने एचआईवी पीड़ितों के एडवांस स्टेज की पहचान के लिए सीडी4 टेस्ट कराने की सलाह दी है।
यह नई सिफारिश एडवांस्ड एचआईवी पर 2025 की गाइडलाइंस का हिस्सा है।
डब्ल्यूएचओ वयस्कों, किशोरों और पांच साल और उससे ज्यादा उम्र के बच्चों में एडवांस्ड एचआईवी बीमारी को “200 सेल्स/एमएम3 से कम सीडी4 सेल काउंट” के रूप में परिभाषित करता है।
डब्ल्यूएचओ ने कहा, “एडवांस्ड एचआईवी एड्स से होने वाली मौतों का मुख्य कारण है। यह एक गंभीर पब्लिक हेल्थ समस्या है। एचआईवी टेस्टिंग और इलाज की अच्छी व्यवस्था और 95–95–95 लक्ष्यों को हासिल करने के बावजूद भी यह समस्या बनी हुई है।”
पांच साल से कम उम्र के एचआईवी पीड़ित सभी बच्चों को एडवांस्ड एचआईवी पीड़ित माना जाना चाहिए।
डब्ल्यूएचओ ने कहा, “2025 की गाइडलाइंस एडवांस्ड एचआईवी की पहचान करने और अस्पताल से डिस्चार्ज होने वाले एचआईवी पीड़ितों की स्थिति में सुधार लाने के लिए बेहतर तरीकों की जरूरत पर बल देती है।”
नई गाइडलाइंस में, डब्ल्यूएचओ ने एडवांस्ड एचआईवी की पहचान के लिए सीडी4 टेस्टिंग की सिफारिश की है।
ग्लोबल हेल्थ संस्था ने कहा, “जिन जगहों पर सीडी4 टेस्टिंग अभी उपलब्ध नहीं है, वहां एडवांस्ड एचआईवी की पहचान के लिए डब्ल्यूएचओ क्लिनिकल स्टेजिंग का इस्तेमाल किया जा सकता है।”
सीडी4 टेस्टिंग का इस्तेमाल उन पीड़ितों में एडवांस्ड एचआईवी की पहचान के लिए किया जा सकता है जो एआरटी की शुरुआत कर रहे हों या फिर से इस प्रक्रिया से गुजरने जा रहे हों, जो फिर से इलाज कराने को उत्सुक हों, जो असफल उपचार प्रक्रिया से गुजर चुके हों, और जो अस्पताल में भर्ती हैं या गंभीर रूप से बीमार हैं या जिन्हें क्लिनिकली अस्थिर माना जाता है।
डब्ल्यूएचओ ने बताया कि सीडी4 टेस्टिंग का इस्तेमाल तब भी किया जा सकता है जब वायरल लोड टेस्टिंग उपलब्ध न हो, ताकि इलाज फेल होने की दशा में पहचान में मदद मिल सके। सीडी4 टेस्टिंग को-ट्राइमोक्साजोल प्रोफिलैक्सिस (एंटीबायोटिक) को रोकने की पात्रता का आकलन करने और फ्लूकोनाजोल प्रोफिलैक्सिस (एंटी फंगल दवाएं) की पात्रता का आकलन करने में भी मदद कर सकती है।
संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य संस्था ने कपोसी सार्कोमा (एक दुर्लभ प्रकार का कैंसर जो रक्त वाहिकाओं और लसीका वाहिकाओं की परत में बनता है) वाले एचआईवी से पीड़ित लोगों के लिए फार्माकोलॉजिकल उपचार के लिए पैक्लिटैक्सेल या पेगिलेटेड लिपोसोमल डॉक्सोरूबिसिन का भी सुझाव दिया। इन गाइडलाइंस में बीमारी और मौत को कम करने के लिए जल्दी पता लगाने, तेजी से एआरटी शुरू करने और बेहतर क्लिनिकल मैनेजमेंट पर भी जोर दिया गया है।
डब्ल्यूएचओ ने कहा, “इन सिफारिशों को लागू करके, देश गंभीर बीमारी और मृत्यु दर को कम कर सकते हैं, इलाज के नतीजों में सुधार कर सकते हैं, और ग्लोबल एचआईवी खत्म करने के लक्ष्यों को आगे बढ़ा सकते हैं।”

