नई दिल्ली, 23 दिसंबर (आईएएनएस)। उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने मंगलवार को नई दिल्ली के डॉ. अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी द्वारा ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन के सहयोग से आयोजित फ्लैगशिप राष्ट्रीय सम्मेलन ‘एआई इवोल्यूशन – एआई का महाकुंभ’ में भाग लिया।
अपने संबोधन में उपराष्ट्रपति ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अब भविष्य की अवधारणा नहीं, बल्कि आज की सच्चाई है। यह हेल्थकेयर, जलवायु मॉडलिंग, प्रशासन, शिक्षा, वित्त और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे कई क्षेत्रों को प्रभावित कर रही है और समाज के विकास के साथ-साथ लोगों के रहने और काम करने के तरीके को बदल रही है।
उन्होंने कहा कि आधुनिक वैज्ञानिक और तकनीकी विकास को लेकर नकारात्मक सोच रखने की जरूरत नहीं है। कंप्यूटर का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि शुरुआत में इसका भी विरोध हुआ था, लेकिन बाद में इसी तकनीक ने दुनिया को नया रूप दिया। हर तकनीकी प्रगति के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पहलू होते हैं। हमारी जिम्मेदारी है कि तकनीक का सही और रचनात्मक उपयोग किया जाए।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में अग्रणी देशों में शामिल हो चुका है। दुनिया तेजी से बदल रही है और भारत को इस दौड़ में विकसित देशों के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना चाहिए, ताकि वह पीछे न रह जाए।
उन्होंने एआई पाठ्यक्रम लॉन्च किए जाने पर खुशी जताई और कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को स्कूलों और कॉलेजों के पाठ्यक्रम का जरूरी हिस्सा बनाया जाना चाहिए। एआई की शुरुआती समझ से छात्रों में सोचने की क्षमता, समस्या सुलझाने का कौशल और तकनीक आधारित भविष्य के लिए जरूरी दक्षताएं विकसित होंगी।
उपराष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि देश की लगभग 65 प्रतिशत आबादी 35 वर्ष से कम उम्र की है। यदि इस जनसांख्यिकीय लाभ का सही उपयोग किया जाए, तो यह भारत को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में दुनिया का अग्रणी देश बना सकता है।
उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर, समावेशी और तकनीक से मजबूत ‘विकसित भारत – 2047’ की यात्रा में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
उपराष्ट्रपति ने विश्वास जताया कि भारत अपनी प्रतिभा, दृष्टि और मूल्यों के साथ न केवल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को जिम्मेदारी से अपनाएगा, बल्कि दुनिया को भविष्य की दिशा भी दिखाएगा।

