कर्नाटक: गृह लक्ष्मी योजना की राशि में देरी से लाभार्थी महिलाएं निराश

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बेंगलुरु, 24 दिसंबर (आईएएनएस)। कर्नाटक सरकार की गृह लक्ष्मी योजना के तहत गरीब महिलाओं को मिलने वाली मासिक 2,000 रुपये की सहायता राशि में हो रही देरी से एक करोड़ से अधिक लाभार्थी महिलाएं निराश और नाराज हैं। कई महिलाओं ने आर्थिक तंगी का हवाला देते हुए राज्य सरकार से योजना के तहत नियमित भुगतान फिर से शुरू करने की मांग की है।

इस मुद्दे ने हाल ही में विधानसभा सत्र के दौरान तूल पकड़ा, जब भाजपा विधायक महेश तेनिनकाई ने महिलाओं को मिलने वाली लंबित किस्तों का मामला उठाया। इस पर महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी हेब्बालकर ने भरोसा दिलाया कि सभी बकाया किस्तें जल्द जारी की जाएंगी और देरी का कारण प्रक्रियागत अड़चनें बताया।

गौरतलब है कि अगस्त 2023 में शुरू की गई गृह लक्ष्मी योजना के तहत कर्नाटक के करीब 1.2 करोड़ गरीब परिवारों की महिलाओं को हर महीने 2,000 रुपये की आर्थिक सहायता देने का प्रावधान है।

राज्य के विभिन्न हिस्सों से लाभार्थी महिलाओं ने आरोप लगाया कि उन्हें पिछले कई महीनों से राशि नहीं मिली है। बीदर जिले में महिलाओं ने दावा किया कि पिछले तीन से चार महीनों से उनके खातों में पैसा जमा नहीं हुआ है। कुछ महिलाओं ने योजना पर तंज कसते हुए कहा कि “गारंटी योजना की गारंटी ही खत्म हो गई है” और मंत्री से हस्तक्षेप की मांग की।

बीदर की निवासी मारथम ने कहा, “पिछले चार महीनों से हमें 2,000 रुपये नहीं मिले हैं। पहले कहा गया था कि तीन महीने में मिल जाएगा, लेकिन अब भी पैसा नहीं आया। त्योहार हैं, खर्चे हैं, हम गरीब लोग परेशान हैं।”

मैसूर में भी कई महिलाओं ने तीन से पांच महीने तक भुगतान न मिलने पर नाराजगी जताई। एक महिला ने कहा, “हमने खुद यह योजना नहीं मांगी थी। सरकार गारंटी के नाम पर खेल खेल रही है और हमारा भरोसा तोड़ दिया है।”

चिट्टूरदुर्गा की गृहिणी वरलक्ष्मी ने कहा कि उन्होंने इस योजना पर भरोसा कर कर्ज लिया था, लेकिन अब दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा, “बुजुर्गों के पास दवा खरीदने तक के पैसे नहीं हैं। सरकार को अपना वादा निभाना चाहिए।”

कई अन्य महिलाओं ने भी आरोप लगाया कि चुनावी वादों के नाम पर सत्ता में आई सरकार अब अपने आश्वासनों से पीछे हट रही है। महिलाओं ने सरकार से मांग की है कि गृह लक्ष्मी योजना की राशि हर महीने समय पर उनके खातों में जमा की जाए, ताकि वे अपनी बुनियादी जरूरतें पूरी कर सकें।