अंजनेय स्वामी मंदिर : यहां हनुमान की 161 फुट की पंचमुखी प्रतिमा मौजूद, रामायण से जुड़ा इतिहास

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बेंगलुरु, 25 दिसंबर (आईएएनएस)। सच्ची भक्ति और आस्था का उदाहरण दुनिया को देने वाले पवनपुत्र हनुमान के कई मंदिर अलग-अलग रूपों में देखने को मिल जाते हैं।

पुरी के समंदर तट पर जहां उन्हें बेड़ी हनुमान के नाम से जाना जाता है, वहीं कर्नाटक में दूर पहाड़ियों के बीच वह विशाल अवतार में पंचमुखी अंजनेय के रूप में भक्तों को दर्शन दे रहे हैं।

कर्नाटक के तुमकुरु जिले के पास बिदानगेरे में पंचमुखी अंजनेय स्वामी मंदिर स्थापित है, जहां दुनिया की सबसे बड़ी और अनोखे रूप वाली हनुमान प्रतिमा बनी है। 161 फुट की पंचमुखी हनुमान की प्रतिमा श्रद्धालुओं के बीच आकर्षण का केंद्र है।

प्रतिमा में हनुमान के पंचमुखी अवतार को दिखाया गया है, जिसमें पांच सिर और आठ हाथ हैं। हनुमान के हाथ में कलश, तलवार, सुदर्शन चक्र, पहाड़, फरसा, शंख, ढाल और त्रिशूल मौजूद हैं। प्रतिमा बिल्कुल सोने की तरह चमकती है और लगता है कि हनुमान स्वयं इस प्रतिमा में समाहित हैं।

प्रतिमा में हनुमान के पांच रूपों को दिखाया गया है, जिसमें वराह, गरूड़, वानर, नरसिंह और अश्व अवतार शामिल हैं। पंचमुखी अवतार हनुमान ने अहिरावण का वध करने के लिए लिया था।

कहा जाता है कि अहिरावण बहुत शक्तिशाली था और उसने छल से भगवान राम और लक्ष्मण का अपहरण किया था। वह उन्हें अपने साथ पाताल लोक लेकर गया था। अहिरावण को हरा पाना मुश्किल था, क्योंकि उसे वही हरा सकता था, जो पांचों दिशाओं में जल रहे दीपकों को एक साथ बुझा सके।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक अलग-अलग दिशाओं में जल रहे पांच दीपकों में अहिरावण के प्राण बसे थे। ऐसे में हनुमान ने भगवान राम और लक्ष्मण की रक्षा के लिए पंचमुखी अवतार लिया और असंभव काम को पूरा कर दिखाया। पंचमुखी अंजनेय स्वामी हनुमान की शक्ति का प्रतीक है। यहां पर भय और दुश्मनों से छुटकारा पाने के लिए भक्त दूर-दूर से दर्शन के लिए आते हैं।

प्रतिमा दक्षिण दिशा की ओर है और इसके दर्शन मात्र से नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है। भक्तों का मानना है कि भगवान के दर्शन मात्र से ही नकारात्मकता दूर होती है और सभी प्रकार के भय से मुक्ति मिलती है।