भारत-पाक संघर्ष विराम को लेकर अब भी ‘असमंजस’ में इशाक डार, बोले- हमने किसी से मध्यस्थता को नहीं कहा था

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इस्लामाबाद, 27 दिसंबर (आईएएनएस)। पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार अपने बड़बोलेपन के लिए कुख्यात हैं। जब-तब ऐसे बयान देते हैं जिससे मुल्क के साथ अपनी भी फजीहत कराते रहते हैं। सैन्य उपलब्धि का पैमाना भारत के इर्द-गिर्द ही घूमता है। शनिवार को उन्होंने फिर ऐसा ही एक बयान दिया। भारत-पाक संघर्ष को लेकर अपनी पीठ थपथपाई, साथ ही वो कह दिया जिस पर पहले भी निशाने पर आ चुके हैं।

प्रमुख दैनिक डॉन के मुताबिक इस्लामाबाद में मीडिया से बात करते हुए दोहराया, “हमने किसी से मध्यस्थता करने के लिए नहीं कहा था।”

ये पहली बार नहीं है जब डार दुविधा से भरा बयान दे रहे हों। इससे पहले अगस्त में भी उन्होंने कुछ ऐसा ही बयान दिया था। उस दौरान माना था कि पाकिस्तान को इतना नुकसान पहुंच चुका था कि उन्होंने हथियार छोड़ संघर्ष विराम को अहमियत दी। डार ने कहा था, “इस्लामाबाद ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत के साथ युद्धविराम में मध्यस्थता के लिए अमेरिका या किसी तीसरे पक्ष से कभी अनुरोध नहीं किया। भारतीय हमले में नुकसान झेलने के बाद पाकिस्तान ने खुद सीजफायर की मांग की थी।”

इसके बाद सितंबर में डार ने एक कार्यक्रम में सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया कि भारत कभी भी किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता के लिए सहमत नहीं हुआ था। डार ने खुलासा किया कि जब पाकिस्तान ने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो से डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता के बारे में पूछा, तो रुबियो ने स्पष्ट रूप से कहा कि भारत हमेशा से कहता रहा है कि यह एक द्विपक्षीय मुद्दा है। दावा किया कि 10 मई को सुबह 8:17 बजे अमेरिकी विदेश मंत्री रुबियो ने उन्हें बताया था कि बहुत जल्द भारत और पाकिस्तान के बीच एक स्वतंत्र स्थान पर वार्ता होगी, लेकिन बाद में 25 जुलाई को रुबियो ने कहा कि भारत ने इसे केवल द्विपक्षीय मामला बताते हुए तीसरे पक्ष की किसी भी भूमिका से इनकार कर दिया है।

शनिवार को दिए अपने बयान में उन्होंने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो के साथ बातचीत का जिक्र किया। पहले कहा कि मध्यस्थता को नहीं कहा, फिर कुछ देर बाद बोले, “सुबह करीब 8:17 बजे, मुझे यूएसए के सेक्रेटरी रुबियो का फोन आया कि ‘भारत सीजफायर के लिए तैयार है, क्या आप तैयार हैं?’ मैंने कहा, ‘हम कभी युद्ध में नहीं जाना चाहते थे।’

हालांकि उनका ये बयान सितंबर के बयान से बिलकुल मेल नहीं खाता जब उन्होंने कहा था कि भारत द्विपक्षीय समझौते की बात करता है और भारत मध्यस्थता के पक्ष में नहीं था।

अब एक ही मसले पर तीन अलग-अलग बयान पाकिस्तानी नेताओं की कंगाल सोच और हाशिए पर जा रही स्थिति को दर्शाते हैं। एक ही मुद्दे पर विरोधाभासी बयान डार की तकलीफ और आवाम को सब्जबाग दिखाने की कोशिश की ओर इशारा करते हैं।