मध्य प्रदेश में अपने ही क्षेत्रों में घिरे दिग्गज, दूसरे क्षेत्रों में जाने से कर रहे परहेज

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भोपाल 11 अप्रैल । मध्य प्रदेश के चार सियासी दिग्गज इस बार लोकसभा चुनाव में अपने ही क्षेत्रों में घिर गए हैं। ऐसे में वे दूसरे इलाकों में जाकर प्रचार करने से परहेज कर रहे हैं। कांग्रेस नेता पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की पहचान पार्टी के स्टार प्रचारकों के तौर पर रही है। जब भी चुनाव हुए, प्रचार का जिम्मा इन दोनों नेताओं के कंधों पर रहा, लेकिन इस बार तस्वीर बदली हुई है। दोनों ही नेता अपने सियासी भविष्य की लड़ाई लड़ते नजर आ रहे हैं। इसी का नतीजा है कि वे एक क्षेत्र विशेष तक ही सीमित हाेे गए हैं। यही हाल भाजपा के दिग्गज केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का भी है।

राज्य में लोकसभा चुनाव का प्रचार अभियान जोर पकड़ रहा है। पहले चरण के मतदान के प्रचार के लिए एक सप्ताह का वक्त बचा है। ऐसे में सभी राजनीतिक दल और नेता मतदाताओं का दिल जीतने के लिए हर दाव चल रहे हैं।

कांग्रेस ने इस बार राजगढ़ से दिग्विजय सिंह को उम्मीदवार बनाया है। दिग्विजय सिंह लगभग तीन दशक बाद यहां से लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। संसदीय क्षेत्र से इतने लंबे अरसे तक दूर रहने के बाद उन्हें अपने मतदाताओं के बीच पहुंचने के लिए पूरा जोर लगाना पड़ रहा है। इसी का नतीजा है कि पहले पूरे प्रदेश में प्रचार की कमान संभालने वाले पूर्व मुख्यमंत्री अपने संसदीय क्षेत्र से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं।

बात अगर हम पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की करें, तो छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र से उनके बेटे नकुलनाथ एक बार फिर मैदान में हैं। नकुलनाथ पिछला चुनाव 40 हजार से कम वोटो के अंतर से जीते थे और इस बार भाजपा ने पूरी ताकत लगा दी है। इसका असर कमलनाथ की सियासी सक्रियता पर पड़ा है। कमलनाथ छिंदवाड़ा से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं, क्योंकि यह चुनाव उनके लिए सियासी तौर पर काफी अहम है।

एक तरफ जहां कांग्रेस के ये दिग्गज अपने-अपने क्षेत्रों में घिर गए हैं, तो यही हाल बीजेपी के दो प्रमुख नेताओं गुना से पार्टी उम्मीदवार केंद्रीय मंत्री सिंधिया और विदिशा से प्रत्याशी पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का भी है। गुना से सिंधिया पहली बार भाजपा के उम्मीदवार के तौर पर मैदान में है। वे पिछला चुनाव कांग्रेस के प्रत्याशी के तौर पर लड़े थे, मगर उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। इस बार सिंधिया पूरी तरह सतर्क हैं और ज्यादा से ज्यादा समय अपने संसदीय क्षेत्र में दे रहे हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान दो दशक से ज्यादा वक्त के बाद विदिशा संसदीय क्षेत्र से भाजपा के उम्मीदवार के तौर पर मैदान में है। वे इस चुनाव में अपने संसदीय क्षेत्र पर पूरा ध्यान दे रहे हैं। दूसरे संसदीय क्षेत्रों में उनका जाना बहुत कम हो रहा है।

इस बार के लोकसभा चुनाव से पहले दो-तीन दशक में जितने भी चुनाव हुए, उनमें इन चार राजनेताओं के तूफानी दौरे हुआ करते थे। पूरे राज्य में इन नेताओं की जनसभाओं की मांग होती थी। लेकिन इस बार स्थितियां जुदा हैं और ये नेता चाह कर भी दूसरे क्षेत्रों में प्रचार नहीं कर पा रहे हैं। क्योंकि इस बार इन नेताओं की प्रतिष्ठा भी दाव पर है।