नई दिल्ली
खालिस्तानियों के समर्थन को लेकर भारत और कनाडा में जारी तनाव के बीच 'फाइव आइज' अलायंस की काफी चर्चा हो रही थी। इस अलायंस के सदस्य अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया ने इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया भी दी है। अमेरिका ने कहा कि भारत को निज्जर की हत्या की जांच में सहयोग करना चाहिए। वहीं ब्रिटेन ने भी कनाडा से संपर्क बनाने की बात कही है। ऑस्ट्रेलिया ने कहा कि उन्होंने भारत के सामने यह मुद्दा उठाया है। बता दें कि ये तीनों ही देश कनाडा के साथ फाइव आइज अलायंस में शामिल हैं। इस अलायंस का पांचवां देश न्यूजीलैंड है जिसकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। पहले भी कई मुद्दों पर न्यूजीलैंड की राय बाकी के चार देशों से अलग रही है।
कैसे पड़ी फाइव आइज अलायंस की नींव
दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान अमेरिका और ब्रिटेन एक साथ थे। ऐसे में दोनों देशों के बीच खुफिया जानकारियों को लेकर एक समझौता हुआ था। 1946 में इसे यूकेएसएस समझौते के नाम से जाना गया। दो साल बाद कनाडा भी इसमें शामिल हो गया। वहीं ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड 1956 में इस समझौते में शामिल हुए। इन देशों ने एक चार्टर को मंजूरी दी जिसमें एक काउंसिल का गठन किया गया। अब साल में चार बार इस अलायंस की बैठक होती है। रिपोर्ट्स में बताया गया कि जी20 सम्मेलन से पहले हुई फाइव आइज अलायंस की बैठक में कनाडा की तरफ से निज्जर की हत्या का मामला उठाया गया था। वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट में कहा गया था कि इस अलायंस ने निज्जर के मामले पर कनाडा के अनुरोध के बावजूद साझा बयान नहीं जारी किया था।
चीन ने 'फाइव आइज' अलायंस को दी थी धमकी
फाइव आइज अलायंस में ऐसे देश शामिल हैं जो कि चीन के खिलाफ खड़े दिखाई देते हैं। दो साल पहले इस अलायंस ने चीन के खिलाफ साझा बयान जारी किया था और कहा था कि वहां उइगर मुसलमानों पर अत्याचार किया जाता है।इसके अलावा अलायंस ने हॉन्गकॉन्ग और ताइवान में चीन की ज्यादती का भी मामला उठाया था। हालांकि न्यूजीलैंड का कहना था कि वह बाकी के चार देशों से इत्तेफाक नहीं रखता है। इस आलोचना के बाद चीन ने अलायंस को धमकी देते हुए कहा कि अगर उसको किसी भी तरह से नुकसान पहुंचाने की कोशिश हुई तो ये आखें फोड़ दी जाएंगी। चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा था कि आखें पांच हों या दस, उसे किसी का डर नहीं है। अगर उधर से पहल हुई तो इधर से जवाब मिलेगा।
इस अलायंस में भारत भी होगा शामिल?
अभी यह अलायंस पांच देशों तक ही सीमित है। हालांकि 2021 में अमेरिकी संसद की प्रतिनिधि सभा में एक प्रस्ताव पेश किया गया था जिसमें कहा गया था कि अलायंस का दायरा बढ़ाया जाना चाहिए और नए देशों की एंट्री होनी चाहिए। इससे खुफिया जानकारियों का भी दायरा बढ़ेगा। इस अलायंस में भारत को भी शामिल करने की बात की गई थी। हालांकि आगे इसपर बात नहीं हुई। हो सकता है कि कनाडा ने इस प्रस्ताव का विरोध किया हो।