वक्फ बोर्ड की तर्ज पर हो मठ बोर्ड का गठन, बिल में कुछ नया नहीं : सलाम रिजवी

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रायपुर, 8 अगस्त (आईएएनएस)। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक, 2024 पेश किया। इसका कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों के नेता विरोध कर रहे है।

वक्फ बोर्ड संशोधन बिल को लेकर छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड‌ के पूर्व अध्यक्ष और कैबिनेट मंत्री रहे सलाम रिजवी ने बड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की है। उन्होंने कहा कि लोकसभा में पेश वक्फ बोर्ड‌ संशोधन बिल में कुछ नया समझ में नहीं आ रहा है। जैसे वक्फ सर्वे धारा 4 के अनुसार जो वक्फ सर्वे किया जाता है, उसका मूल बिंदु कलेक्टर के पास ही रहता है, जो वक्फ संपत्ति का सर्वे है।

वक्फ सर्वे कमिश्नर और कलेक्टर के माध्यम से इसकी जांच करवाने के बाद ही राज्य शासन को भेजता है। इस चीज को इसमें रिपीट किया गया है। महिलाओं के लिए पहले से अधिनियम में है कि वक्फ बोर्ड में दो महिलाएं रहेगी। जहां मूतवल्ली पद्धति है, वहां एक रहेंगी। ये सारी चीजें पहले से हैं, ऐसे में इसमें कुछ नया नहीं दिखता है।

रिजवी ने कहा कि इस बिल से यह समझ में आ रहा है कि मुसलमानों को अपने तरीके से ठगने का काम किया गया है। जैसे अनुच्छेद 370 का मुसलमानों से कोई लेना-देना नहीं था। वह मात्र कश्मीर के लिए था, लेकिन उसे मुसलमानों से जोड़कर देखा गया। वैसे ही तीन तलाक का मसला, जिससे मुसलमानो का कोई लेना देना नहीं है। मुसलमान अपने शरीयत के हिसाब से चलता है। आज भी चल रहा है और पहले भी चलता था। ये लोग मुसलमानों को डराने के लिए है समय बर्बाद करते हैं।

रिजवी ने कहा कि मेरा मानना है कि अगर भाजपा हिंदुओं के लिए अच्छा सोचती है, तो वक्फ बोर्ड की तर्ज पर मठ बोर्ड का गठन करे। क्योंकि मठ में करोड़ों नहीं, बल्कि अरबों रुपए की संपत्ति है, जो कुछ मठाधीश लोगों के कब्जे में है। इसको संरक्षित और सुरक्षित करने की जरूरत है। इससे उस संपत्तियों का सही इस्तेमाल करते हुए आम समाज को फायदा मिलना चाहिए। वक्फ बोर्ड में संशोधन से कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है। मुस्लिम समाज और खास करके छत्तीसगढ़ में इसका कोई असर पड़ने वाला नहीं है।

भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद के बयानों पर पलटवार करते हुए उन्होंने कहा कि मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि यह बिल लाने की क्या जरूरत पड़ी। बिल में कोई नई चीज लाते तो समझ में आता।

वक्फ बोर्ड एक्ट का नाम बदलने को लेकर उन्होंने कहा कि नाम बदलने की उनकी पुरानी परंपरा रही है। कोई ऐसा शहर, रोड, जो मुस्लिम समुदाय से संबंधित हो, उसे ये लोग तुरंत बदलने में लगे रहते हैं। देश को इसी तरह से आगे बढ़ा रहे हैं। नाम बदलकर देश को तरक्की दिला रहे हैं, आगे भी यह चलता रहेगा।