नई दिल्ली, 30 अगस्त (आईएएनएस)। एक अध्ययन के अनुसार, उच्च बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले तीन में से दो लोगों की मौत के लिए हृदय रोग (सीवीडी) जिम्मेदार है।
दरअसल यह अध्ययन ऐसे समय में आया है जब पिछले चार दशकों में मोटापे के मामले दोगुने से भी अधिक हो गए हैं और मौजूदा समय में यह एक अरब से भी अधिक व्यक्तियों को प्रभावित कर रहा है।
बेल्जियम के एंटवर्प विश्वविद्यालय की प्रोफेसर एमलाइन वान क्रेनेनब्रोएक ने कहा, “उल्लेखनीय बात यह है कि उच्च बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) से संबंधित 67.5 प्रतिशत मौतें हृदय रोग (सीवीडी) के कारण होती हैं।”
मोटापे के कारण एथेरोस्क्लेरोटिक रोग, हृदयाघात, थ्रोम्बोम्बोलिक रोग, अचानक हृदयाघात आदि जैसे रोगों का खतरा बढ़ जाता है।
वैन क्रेनेनब्रोक ने कहा कि इस संबंध के बावजूद, “मोटापे को अन्य हृदय संबंधी जोखिम कारकों की तुलना में कम पहचाना गया है और इस पर उचित ध्यान नहीं दिया गया है।”
मोटापा न केवल मधुमेह, डिसलिपिडेमिया, उच्च रक्तचाप और धमनी उच्च रक्तचाप जैसे सुस्थापित हृदय संबंधी जोखिम कारकों में योगदान देता है, बल्कि हृदय की संरचना और कार्य पर भी इसका सीधा प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और यह एथेरोस्क्लेरोटिक और गैर-एथेरोस्क्लेरोटिक दोनों प्रकार के सीवीडी के विकास का कारण बनता है।
मोटापा विभिन्न अंगों पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है और कई बड़ी बीमारियों को जन्म देता है।
अध्ययन से यह भी पता चला कि मधुमेह और मोटापे का आपस में गहरा संबंध है।
मधुमेह के 80-85 प्रतिशत रोगी मोटे या अधिक वजन वाले होते हैं। दूसरी ओर, मोटे लोगों में टाइप 2 मधुमेह विकसित होने की संभावना सामान्य वजन वाले लोगों की तुलना में लगभग तीन गुना (क्रमशः 20 प्रतिशत बनाम 7.3 प्रतिशत) अधिक होती है।
मोटापे से बचा जा सकता है। मोटापे के उपचार में दवा, आहार, व्यवहार और शारीरिक उपचार शामिल हैं।
ये रिपोर्ट लंदन में चल रहे यूरोपीय कार्डियोलॉजी कांग्रेस (30 अगस्त-2 सितम्बर) में प्रस्तुत किये जायेंगे।