कैनबरा, 13 सितंबर (आईएएनएस)। ऑस्ट्रेलिया में पिछले 10 सालों में दिमागी बीमारी डिमेंशिया की दवाओं की मांग लगभग 50 प्रतिशत बढ़ गई है, एक सरकारी रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है।
रिपोर्ट बताती है कि 2022-23 में 30 साल या उससे ज़्यादा उम्र के 72,400 लोगों को डिमेंशिया की दवाइयां दी गई थी। ये संख्या 2013-14 के मुकाबले 46% ज्यादा है। डिमेंशिया कई तरह की बीमारियों का समूह है जो दिमाग की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाती हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, दुनिया भर में दिमागी कमजोरी के 60-70 प्रतिशत मामलों का कारण अल्जाइमर रोग है। यह दिमागी कमजोरी का सबसे आम प्रकार है, जो वैश्विक स्तर पर 60-70 प्रतिशत मामलों के लिए जिम्मेदार है।
रिपोर्ट का अनुमान है कि 2023 में 411,100 ऑस्ट्रेलियाई लोग डिमेंशिया से पीड़ित थे और अनुमान लगाया कि जनसंख्या बढ़ने और उम्र बढ़ने के साथ 2058 तक यह संख्या दोगुनी से भी अधिक 849,300 हो जाएगी।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, 2022-23 में, डिमेंशिया के कारण अस्पताल में भर्ती होने वालों की संख्या 26,300 थी जो 2016-17 के 21,000 से 24 प्रतिशत की वृद्धि है। डिमेंशिया हर 11 मौतों में से एक का कारण था।
एआईएचडब्ल्यू के प्रवक्ता मेलानी डनफोर्ड ने एक बयान में कहा, “ऑस्ट्रेलिया में डिमेंशिया एक महत्वपूर्ण और बढ़ती स्वास्थ्य और वृद्ध देखभाल समस्या है, जिसका इस स्थिति वाले लोगों के साथ-साथ उनके परिवारों और दोस्तों के स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता पर काफी प्रभाव पड़ता है।”
कोरोनरी हृदय रोग के बाद डिमेंशिया ऑस्ट्रेलिया में मृत्यु का दूसरा प्रमुख कारण था, जो सभी मौतों का 9.3 प्रतिशत था। यह 2022 में महिलाओं और 65 वर्ष और उससे अधिक आयु के ऑस्ट्रेलियाई लोगों के लिए मृत्यु का प्रमुख कारण था।
2009 और 2022 के बीच ऑस्ट्रेलिया में प्रति 100,000 जनसंख्या पर डिमेंशिया के कारण होने वाली मौतों की दर 39 से बढ़कर 69 हो गई है।
देश में डिमेंशिया के लिए सीधे स्वास्थ्य सेवाओं पर लगभग 763 मिलियन ऑस्ट्रेलियाई डॉलर (513.3 मिलियन अमेरिकी डॉलर) खर्च किए जा चुके हैं।