नई दिल्ली : 14 अक्टूबर/ साहित्य अकादमी नईदिल्ली के रवीन्द्र भवन सभागार में आज 15 अक्टूबर 2024 मंगलवार को विश्वरंग एवं वनमाली सृजन पीठ नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में “अवलोकन और भविष्य दृष्टि” विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी “विश्वरंग विमर्श” का आयोजन होगा।
राष्ट्रीय संगोष्ठी में “विश्वरंग : साहित्य–संस्कृति में भविष्य दृष्टि” विषय पर विश्व रंग के स्वप्नदृष्टा संतोष चौबे अपने विचार रखेंगे। वरिष्ठ साहित्यकार विनोद तिवारी और मुकेश वर्मा की अध्यक्षता में आयोजित इस सत्र में अनामिका “विश्वरंग साहित्य यात्रा”, डॉ. जानकी प्रसाद शर्मा “विश्वरंग: भारतीय भाषाओं का साहित्य, आयोजन और अनुवाद की जरूरत”, उमाशंकर चौधरी “विश्वरंग पत्रिकाओं के सामाजिक महत्व” और जितेंद्र श्रीवास्तव “विश्वरंग की प्रकाशन पहल” पर अपने विचार रखेंगे। इस दौरान ‘विश्वरंग : अवलोकन’ फिल्म का प्रदर्शन भी किया जाएगा।
राष्ट्रीय संगोष्ठी का दूसरा सत्र “विश्वरंग में कलाओं का पुनर्वास” अशोक भौमिक और देवेंद्र राज अंकुर की अध्यक्षता में आयोजित होगा। इस सत्र में विनोद भारद्वाज ‘चित्रकला’, रवीन्द्र त्रिपाठी “विश्वरंग: रूपंकर कलाएं” और देवेंद्र राज अंकुर “नाटक एवं ‘नाट्य कलाओं” विषय पर अपने विचार व्यक्त करेंगे। इस सत्र में ‘कला पर एकाग्र’ फिल्म का प्रदर्शन भी किया जाएगा। सत्र का संचालन वनमाली कथा के संपादक कुणाल सिंह द्वारा किया जाएगा।
राष्ट्रीय संगोष्ठी का तीसरा सत्र वरिष्ठ कथाकार ममता कालिया और चंद्रभान खयाल की अध्यक्षता में आयोजित प्रेस होगा। इस सत्र में महादेव टोप्पो “आदिवासी संस्कृति”, वीणा सिन्हा “संस्कृति”, देवेंद्र चौबे “सृजनात्मक इतिहास व पुरातत्व महत्व” लीलाधर मंडलोई “संगीत और सामाजिकता’ पर अपने विचार साझा किए। इस सत्र में “विश्वरंग की कला दृष्टि” पर विशेष फिल्म का प्रदर्शन भी किया जाएगा। सत्र का संचालन टैगोर विश्व कला एवं संस्कृति केंद्र के निदेशक विनय उपाध्याय करेंगे।
राष्ट्रीय संगोष्ठी का अंतिम सत्र “विश्वरंग: विश्व में हिंदी उन्मेष और प्रसार” संतोष चौबे और बलराम गुमास्ता की अध्यक्षता में आयोजित होगा। इस सत्र में डॉ. मनीष चौधरी, अल्पना मिश्र, विजय कुमार मल्होत्रा, बालेंदु
दाधीच, दिव्या माथुर विश्वरंग के माध्यम से विश्व में हो रहे हिंदी के प्रसार पर चर्चा करेंगे। इस दौरान ‘विश्वरंग मॉरिशस 2024 पर केंद्रित विशेष फिल्म का प्रदर्शन होगा। सत्र का संचालन टैगोर अंतरराष्ट्रीय हिंदी केन्द्र के निदेशक डॉ. जवाहर कर्नावट करेंगे।