हटाए गए संविदा कर्मचारियों को क‍िया जाए बहाल : कैलाश गहलोत

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नई दिल्ली, 22 अक्टूबर (आईएएनएस)। दिल्ली महिला आयोग ने सभी संविदा कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से हटाने का आदेश दिया है। उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने इसे मंजूरी भी दे दी है। इस पर अब दिल्ली सरकार में परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।

उन्होंने कहा, “ हाल ही में जारी आदेश में तत्काल प्रभाव से कई संविदा कर्मचारियों को हटा द‍िया गया है, वास्तव में यह दुखद और चिंताजनक स्थिति है। विशेष रूप से, जब यह आदेश दीपावली जैसे त्योहार के समय में आया है, तो इसका सामाजिक और मनोवैज्ञानिक प्रभाव और भी गंभीर हो जाता है।”

उन्होंने कहा, “इस आदेश में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि यह एलजी की मंजूरी और आदेश पर आधारित है, जो इस बात का संकेत है कि यह निर्णय उच्च स्तर पर लिया गया है। यह निश्चित रूप से संविदा कर्मचारियों के लिए अन्यायपूर्ण है, जो लंबे समय से अपने कर्तव्यों का पालन कर रहे हैं। इनमें से कई कर्मचारी, जैसे कि यौन उत्पीड़न पीड़ितों के लिए काम करने वाले वकील और काउंसलर, न केवल अपनी सेवाएं दे रहे हैं, बल्कि समाज के एक महत्वपूर्ण हिस्से को सहायता भी प्रदान कर रहे हैं।”

उन्होंने कहा, “दिल्ली सरकार के तहत ऐसे संविदा कर्मचारियों को हटाने का यह एक गंभीर मामला है। उदाहरण के लिए, पहले भी बस मार्शलों को हटा दिया गया था, जो सार्वजनिक परिवहन में सुरक्षा की भावना को बढ़ाते थे, खासकर महिलाओं के लिए। ऐसे निर्णयों से यह स्पष्ट होता है कि संविदा कर्मचारियों को उनकी मेहनत और सेवाओं के लिए उचित मान्यता नहीं मिल रही है।”

उन्होंने कहा, “मैं एलजी साहब से अपील करना चाहूंगा कि त्योहार के इस समय में दयालुता दिखाते हुए इस आदेश को तुरंत वापस लिया जाए। संविदा कर्मचारी न केवल अपने कार्यों में निपुण हैं, बल्कि वे दिल्ली सरकार के कामों का एक अभिन्न हिस्सा हैं। हमें यह समझना होगा कि ऐसे कर्मचारी, जो वर्षों से ईमानदारी से काम कर रहे हैं, उन्हें अचानक हटाना न केवल अनुचित है, बल्कि उनके भविष्य और मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।”

उन्होंने कहा, “मैं यह भी स्पष्ट करना चाहता हूं कि दिल्ली सरकार हमेशा अपने संविदा कर्मचारियों के साथ खड़ी है। हम उनकी चिंताओं का संज्ञान लेंगे और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। इसलिए, मैं फिर से अनुरोध करता हूं कि इस आदेश को तुरंत वापस लिया जाए और संविदा कर्मचारियों को उनके कार्यों में निरंतरता प्रदान की जाए।”