अहोई अष्टमी के दिन इस कुंड में डुबकी लगाने आते हैं हजारों श्रद्धालु, मिलता है संतान सुख का आशीर्वाद

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नई दिल्ली, 10 अक्टूबर (आईएएनएस)। देशभर में कई चमत्कारी कुंड हैं, जिनकी अपनी-अपनी मान्यता है। किसी कुंड में स्नान करने से चर्म रोगों से मुक्ति मिलती है, तो कुछ कुंड अखंड सौभाग्यवती होने का वरदान देते हैं।

मथुरा में भी एक ऐसा चमत्कारी कुंड है, जहां अहोई अष्टमी के दिन कुंड में स्नान करने के लिए बड़ी संख्या में भक्त पहुंचते हैं। मथुरा के गोवर्धन के पास राधा कुंड है।

अहोई अष्टमी के दिन कुंड को खास तरीके से सजाया जाता है। माना जाता है कि कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन जो भी दंपत्ति जोड़े के साथ कुंड में स्नान करता है, तो उसे संतान सुख की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, संतान के जीवन में आई बाधाओं का भी नाश होता है। इस कुंड को लेकर कई तरह की मान्यताएं प्रचलित हैं। यह भी कहा जाता है कि राधा कुंड में स्नान करने से गौ हत्या के पाप से भी मुक्ति मिलती है।

अहोई अष्टमी के दिन भक्त कुंड में आधी रात को स्नान करने आते हैं और अपनी मनोकामना की पूर्ति करते हैं। स्नान करने के बाद भक्त कुंड की परिक्रमा करते हैं और राधारानी का आशीर्वाद लेने के लिए बरसाना में स्थित मंदिर भी जाते हैं।

राधा कुंड के बारे में कहा जाता है कि राधारानी के आदेश पर श्रीकृष्ण ने अरिष्टासुर दैत्य (आधा बैल, आधा राक्षस) का वध किया था। अब हत्या और गौ हत्या का पाप मिटाने के लिए राधारानी ने सभी पवित्र जलों में स्नान करने का सुझाव दिया। ऐसे में भगवान श्रीकृष्ण ने बांसुरी बजाकर सभी पवित्र नदियों का जल इकट्ठा कर लिया। कहा जाता है कि कुंड का निर्माण राधारानी ने अपने कंगन से किया। राधा रानी के कंगन से दो कुंड बने, पहला श्याम कुंड और दूसरा राधा कुंड। इस कुंड को भगवान कृष्ण का मुकुट भी कहा जाता है, क्योंकि भगवान कृष्ण ने हमेशा राधा रानी को अपने मस्तक पर स्थान दिया है।

राधा कुंड में दुनिया की सारी पवित्र नदियों का जल एक जगह ही मिल जाता है, जिसकी वजह से श्रद्धालुओं के बीच कुंड की आस्था बहुत है। इस कुंड को राधा और श्याम के प्यार का पवित्र स्थान भी माना जाता है। कहा जाता है कि शादी होने के बाद नव-दंपति को कुंड में स्नान करना चाहिए, जिससे उनके जीवन में ताउम्र प्यार बना रहे। इन कुंडों में नहाने से राधा और कृष्ण दोनों का आशीर्वाद मिलता है।