आंबेडकर कॉलेज की घटना दुर्भाग्यपूर्ण, संगठन की गतिविधियों में शामिल नहीं होंगी दीपिका झा, जांच समिति गठितः अभाविप

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नई दिल्ली, 19 अक्टूबर (आईएएनएस)। दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर को थप्पड़ मारने की आरोपी व दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ की संयुक्त सचिव दीपिका झा फिलहाल विद्यार्थी परिषद की संगठनात्मक गतिविधियों में शामिल नहीं हो सकेंगी। रविवार को इस संबंध में जानकारी देते हुए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने कहा कि घटना की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए अभाविप दिल्ली द्वारा एक आंतरिक जांच समिति का गठन किया गया है। यह समिति सभी तथ्यों की जांच पूर्ण कर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।

संगठनात्मक मर्यादा एवं निष्पक्षता बनाए रखने के उद्देश्य से जांच पूर्ण होने तक दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ की संयुक्त सचिव दीपिका झा संगठन की गतिविधियों में सहभागी नहीं होंगी। अभाविप का कहना है कि वे यह सुनिश्चित करेंगे कि जांच पूर्णत निष्पक्ष एवं तथ्यों पर आधारित हो।

दिल्ली विश्वविद्यालय के डॉ. भीमराव आंबेडकर महाविद्यालय में 16 अक्टूबर को यह घटना घटी थी।

बता दें कि विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर, सुजीत कुमार, का कहना है कि डूसू की संयुक्त सचिव दीपिका झा ने उन्हें थप्पड़ मारा। प्रोफेसर सुजीत कुमार कॉलेज की अनुशासन समिति के संयोजक हैं। इस आरोप के बाद शिक्षक समुदाय ने अपनी नाराजगी जताते हुए अपना विरोध भी दर्ज कराया था। अब अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने इस पूरे प्रकरण की जांच के लिए एक विशेष समिति का गठन किया है।

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने इस पूरे घटनाक्रम को अत्यंत दुखद एवं दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने इस घटना पर गहरी पीड़ा व्यक्त की और स्पष्ट किया है कि अभाविप सदैव शिक्षकों के सम्मान के लिए प्रतिबद्ध है।

अभाविप ने कहा कि उनकी परिकल्पना में शिक्षक, शिक्षाविद एवं विद्यार्थी एक शैक्षिक परिवार हैं और इन तीनों के आपसी सम्मान एवं संवाद से ही स्वस्थ शैक्षणिक वातावरण का निर्माण होता है। किसी भी परिस्थिति में किसी शिक्षक के प्रति हिंसा स्वीकार्य नहीं है।

वहीं, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने यह भी अपेक्षा जताई है कि घटना के संदर्भ में प्राध्यापक सुजीत कुमार की संदेहास्पद, छात्रविरोधी तथा शिक्षक पद की गरिमा के विपरीत की गई गतिविधियों की विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा निष्पक्ष जांच कराई जाए। विद्यार्थी परिषद का कहना है कि दोषी पाए जाने पर उनके विरुद्ध नियमानुसार कठोर कार्रवाई की जाए।