भोपाल, 3 दिसंबर (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की भर्ती ऑनलाइन की गई है। इस तरह देश का मध्य प्रदेश पहला ऐसा राज्य बन गया है जिसने ऑनलाइन के जरिए भर्ती प्रक्रिया पूरी की। राज्य के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बुधवार को महिला बाल विकास विभाग के दो सालों में किए गए कार्यों की समीक्षा की। इस बैठक में राज्य की महिला बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया सहित तमाम अन्य अधिकारी मौजूद रहे।
समीक्षा बैठक में बताया गया कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की पूर्णत: ऑनलाइन पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया लागू वाला मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य बना है। इसी तरह टेक होम राशन की एफआरएस प्रक्रिया में भी राज्य प्रथम रहा है, जिसकी राष्ट्रीय स्तर पर सराहना हुई है।
राज्य के आदिवासी बाहुल्य जिले झाबुआ में ‘मोटी आई’ नवाचार को राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत किया गया है। इसमें बच्चों की बेहतर देखभाल की जाती है, उनके खान-पान का ध्यान रखा जाता है और मालिश आदि की जाती है। झाबुआ में कुपोषण को खत्म करने के लिए ‘मोटी आई’ मॉडल लागू किया गया है। इसमें पारंपरिक आयुर्वेदिक मालिश को पौष्टिक आहार के साथ जोड़ा जाता है।
महिला बाल विकास विभाग ने प्रधानमंत्री जन मन भवन निर्माण की रियल टाइम मॉनिटरिंग के लिए अत्याधुनिक मॉड्यूल विकसित किया है। डिजाइन व मॉनिटरिंग मॉड्यूल को भारत सरकार की विशेष सराहना मिली है। महिला बाल विकास विभाग ने आगामी तीन सालों के लिए कार्य योजना बनाई है, जिसे मुख्यमंत्री मोहन यादव के सामने रखा गया।
प्रदेश के शहरी आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए सेंट्रल किचन व्यवस्था की जाएगी जिससे आंगनबाड़ी केंद्रों तक गर्म भोजन पहुंचेगा। यह नई व्यवस्था वर्ष 2026 तक लागू कर दी जाएगी। निपुण भारत के तहत शाला पूर्व शिक्षा में बड़ा निवेश किया जाएगा ताकि 2047 के विजन को पूरा किया जा सके। लाडली बहना योजना का विस्तार किया जाएगा, प्रोत्साहन राशि देने का भी प्रावधान किया जाएगा। आगामी तीन वर्षों में आंगनबाड़ी के 9,000 भवन निर्मित किए जाएंगे।
समीक्षा बैठक में बताया गया कि महिला बाल विकास विभाग राज्य और केंद्र सरकार की योजना का लाभ आदि आबादी तक पहुंचा रहा है। ‘प्रधानमंत्री मातृ वंदन योजना’ में 9.70 लाख गर्भवती महिलाओं को 512 करोड़ रुपए से अधिक की सहायता दी गई है। लाडली बहना योजना के तहत जनवरी 2024-नवंबर 2025 में 36,778 करोड़ रुपए का अंतरण किया गया है।
राज्य में स्थापित महिला हेल्पलाइन से 172000 महिलाओं को सहायता प्रदान की गई, वहीं वन स्टाफ सेंटर से 52000 महिलाओं को सुरक्षा मिली। इसके अतिरिक्त बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के तहत 1.89 लाख पौधारोपण, 6,520 ड्राइविंग लाइसेंस, और 8,637 बालिकाओं को प्रतियोगी परीक्षा प्रशिक्षण दिया गया।

