अंजू जैन: भारत की भरोसेमंद विकेटकीपर, जिनके सामने पिता ने रखी थी शर्त

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नई दिल्ली, 10 अगस्त (आईएएनएस)। अंजू जैन भारतीय महिला क्रिकेट टीम की पूर्व कप्तान और विकेटकीपर-बल्लेबाज रही हैं। उनका जन्म 11 अगस्त 1974 को हुआ। अंजू ने करीब 12 साल भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए टेस्ट और वनडे, दोनों फॉर्मेट में शानदार प्रदर्शन किया। अंजू अपनी बेहतरीन विकेटकीपिंग और स्थिर बल्लेबाजी के लिए जानी जाती थीं।

रानी झांसी ट्रॉफी में शानदार प्रदर्शन करने के बाद, अंजू जैन को महिला विश्व कप 2000 के लिए भारतीय टीम का कप्तान बनाया गया। भारत सेमीफाइनल में पहुंचा, लेकिन मेजबान न्यूजीलैंड से हार गया।

अंजू भारतीय महिला टीम की सबसे भरोसेमंद विकेटकीपर में शुमार रहीं, मगर विकेटकीपिंग उनकी पहली पसंद नहीं थी। अंजू एक बल्लेबाज बनना चाहती थीं, लेकिन दिल्ली की जूनियर टीम के पास कोई विकेटकीपर नहीं था। ऐसे में अंजू ने यह जिम्मा संभाला।

अंजू अपना आदर्श पूर्व विकेटकीपर सैयद किरमानी और किरन मोरे को मानती थीं। ऐसे में उन्होंने इनके ही नक्शेकदम पर चलने का फैसला किया।

भले ही अंजू के परिवार ने बेटी को क्रिकेट खेलने की इजाजत दी, लेकिन इसके साथ ही पढ़ाई जारी रखने की भी शर्त थी। पिता साफ कह चुके थे कि अगर अंजू परीक्षा में फेल हो गईं, तो उन्हें क्रिकेट खेलने से रोक दिया जाएगा। अंजू ने खेल और पढ़ाई के बीच तालमेल बनाया और ग्रेजुएशन किया।

अंजू जैन ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आठ टेस्ट खेले, जिसकी 12 पारियों में 36.75 की औसत के साथ 441 रन बनाए। इस दौरान उनके बल्ले से एक शतक और तीन अर्धशतक आए। उन्होंने वनडे फॉर्मेट में 65 मैच खेले, जिसमें 29.81 की औसत के साथ 1,729 रन बनाए। इस दौरान औसत 29.81 रहा।

अंजू ने टेस्ट क्रिकेट में 15 कैच लपकने के अलावा आठ स्टंपिंग कीं, जबकि वनडे फॉर्मेट में उन्होंने 30 कैच लेने के अलावा 51 बार खिलाड़ियों को स्टंप आउट किया।

अंजू जैन ने जुलाई 1993 से अप्रैल 2005 तक भारत की ओर से खेला। भारतीय क्रिकेट में इस योगदान के लिए साल 2005 में उन्हें ‘अर्जुन अवॉर्ड’ से सम्मानित किया गया था।

अंजू जैन भारतीय टीम की चयन समिति की चेयरपर्सन रहीं। वह बांग्लादेश क्रिकेट टीम को कोचिंग भी दे चुकी हैं। उन्होंने विमेंस प्रीमियर लीग में भी बतौर कोच अपना योगदान दिया। भारतीय महिला क्रिकेट के विकास में उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा।