वाराणसी, 12 अक्टूबर (आईएएनएस)। भगवान शिव के त्रिशूल पर बसी काशी अपनी निराली छवि और अद्भुत धार्मिक महिमा के कारण पूरे विश्व में विख्यात है। यह नगर न केवल हिंदू धर्मावलंबियों, संतों और नागा साधुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र है, बल्कि यहां स्थित बाबा विश्वनाथ मंदिर द्वादश ज्योतिर्लिंगों में प्रमुख स्थान रखता है।
काशी में विराजमान बाबा विश्वनाथ की अद्भुत महिमा और उनके मंदिर से जुड़े रहस्य आज भी कई लोगों के लिए अनजाने हैं। यही वजह है कि वाराणसी को विश्व का नाथ कहा जाता है।
काशी विश्वनाथ का मंदिर न केवल स्थापत्य और धार्मिक दृष्टि से अद्वितीय है, बल्कि इसके मुख्य शिखर पर स्थापित श्रीयंत्र इसे तांत्रिक सिद्धियों और शक्ति केंद्रों में विशेष बनाता है। श्रीयंत्र को शक्ति और लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है, और यही कारण है कि इस स्थान को अत्यंत चमत्कारिक माना जाता है।
बाबा विश्वनाथ का शिवलिंग भी अद्वितीय है। इसे एक ऐसा शिवलिंग माना जाता है, जिसमें एक भाग में शिव और दूसरे भाग में शक्ति (मां पार्वती) विराजमान हैं। शास्त्रों के अनुसार, दाहिने हिस्से में शक्ति स्वरूपा मां पार्वती और बाएं हिस्से में भगवान शिव विराजमान हैं। यही कारण है कि इस मंदिर के दर्शन मात्र से श्रद्धालु अपने पापों से मुक्ति पाते हैं और जीवन में आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
काशी नगर तीन खंडों में विभाजित है केदार, विशेश्वर और ओमकलेश्वर। विशेश्वर खंड, जिसमें काशी विश्वनाथ मंदिर स्थित है, त्रिशूल के मध्य नोक पर स्थित है। इसे त्रिशूल का हृदय कहा जाता है और यही कारण है कि काशी और बाबा विश्वनाथ की नगरी को अविनाशी माना जाता है।
धार्मिक मान्यता है कि यहां आने वाले श्रद्धालु अपने जीवन की कठिनाइयों और समस्याओं से मुक्त हो जाते हैं। कहा जाता है कि यह नगरी अपने भक्तों पर किसी प्रकार की विपत्ति नहीं आने देती।
श्रद्धालुओं के लिए यह स्थान जीवन में शांति, समृद्धि और आध्यात्मिक बल का स्रोत है। काशी की यह दिव्य महिमा सदियों से लोगों के हृदय में विश्वास और भक्ति की गहरी जड़ें बनाए हुए है।