बेंगलुरु, 16 अक्टूबर (आईएएनएस)। बेलेकेरी बंदरगाह के जरिए अवैध लौह अयस्क निर्यात के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के बेंगलुरु क्षेत्रीय कार्यालय की टीम ने गुरुवार को बेंगलुरु, होस्पेट और गुरुग्राम स्थित 20 स्थानों पर छापेमारी की।
यह कार्रवाई धन शोधन निषेध कानून (पीएमएलए) 2002 के तहत चल रही जांच का हिस्सा है। जांच कर्नाटक के बेलेकेरी बंदरगाह से लौह अयस्क के अवैध निर्यात के मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर सीबीआई द्वारा दर्ज एफआईआर और दाखिल आरोपपत्रों पर आधारित है।
इस मामले के प्रमुख लाभार्थी के रूप में छह कंपनियों और उनके प्रमुख प्रबंधकों को निशाना बनाया गया है। इनमें मेसर्स एमएसपीएल लिमिटेड (बाल्डोटा समूह), मेसर्स ग्रीनटेक्स माइनिंग इंडस्ट्रीज लिमिटेड, मेसर्स श्रीनिवास मिनरल्स ट्रेडिंग कंपनी, मेसर्स अरशद एक्सपोर्ट्स, मेसर्स एसवीएम नेट प्रोजेक्ट सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स अल्फाइन मिनमेटल्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड शामिल हैं।
ईडी के मुताबिक, इन कंपनियों और व्यक्तियों ने बिना उचित कर, रॉयल्टी चुकाए लौह अयस्क का अवैध खनन, खरीद-बिक्री और परिवहन किया। इससे कर्नाटक सरकार के खजाने को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ, साथ ही पर्यावरण को भी गहरी क्षति पहुंची।
ईडी का कहना है कि इन गतिविधियों से प्राप्त अवैध कमाई को सफेद धन के रूप में दिखाने की कोशिश की गई। तलाशी में दस्तावेज, डिजिटल रिकॉर्ड और अन्य सबूत जुटाए जा रहे हैं।
यह मामला पुराने बेलेकेरी बंदरगाह घोटाले से जुड़ा है, जहां जब्त लौह अयस्क को गैरकानूनी तरीके से निर्यात किया गया था। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर सीबीआई ने कई एफआईआर दर्ज की थीं, जिनमें खनन माफिया और निर्यातकों की भूमिका उजागर हुई।
कर्नाटक में खनन क्षेत्र लंबे समय से विवादों में रहा है। इस तरह के अवैध निर्यात से न केवल राजस्व हानि होती है, बल्कि अवैध खनन से जंगलों और जल स्रोतों को नुकसान पहुंचता है।
ईडी की यह कार्रवाई खनन घोटालों पर लगाम कसने की दिशा में एक और कदम है। जांच जारी है और आगे की कार्रवाई में गिरफ्तारियां भी हो सकती हैं। अधिकारियों ने कहा कि यह अभियान पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए है।