एंटवर्प, 17 अक्टूबर (आईएएनएस)। एंटवर्प की एक अदालत ने भगोड़े हीरा व्यापारी मेहुल चोकसी के भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है, जिसको भारत के लिए एक महत्वपूर्ण जीत के रूप में देखा जा रहा है। पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) में 13,000 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी की साजिश रचने के आरोपी 66 वर्षीय चोकसी के पास अब बेल्जियम की सर्वोच्च न्यायालय में इस फैसले के खिलाफ अपील करने के लिए 15 दिन का समय है, जिससे तत्काल स्थानांतरण में देरी हो रही है।
भारत की जांच एजेंसी केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के औपचारिक अनुरोध पर 11 अप्रैल को एंटवर्प पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए मेहुल चोकसी चार महीने से ज्यादा समय से हिरासत में हैं। उनकी बार-बार की गई जमानत याचिकाओं को अदालत ने खारिज कर दिया था।
शुक्रवार की सुनवाई के दौरान, नई दिल्ली का प्रतिनिधित्व कर रहे बेल्जियम के अभियोजकों और मेहुल चोकसी के बचाव पक्ष के बीच बहस हुई।
न्यायाधीशों ने फैसला सुनाया कि हिरासत कानूनी मानकों के अनुरूप है और दोहरी आपराधिकता की आवश्यकता को पूरा करती है। आपराधिक षड्यंत्र, धोखाधड़ी, आपराधिक विश्वासघात, साक्ष्य विनाश और भ्रष्टाचार जैसे अपराध, जिन पर भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, 201, 409, 420 और 477ए के साथ-साथ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 और 13 के तहत आरोप लगाए गए हैं, बेल्जियम के कानून के तहत दंडनीय हैं।
भारत ने अंतर्राष्ट्रीय संधियों का हवाला देकर अपने मामले को मजबूत किया, जिनमें संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध सम्मेलन (यूएनटीओसी) और संयुक्त राष्ट्र भ्रष्टाचार सम्मेलन (यूएनसीएसी) शामिल हैं, दोनों को बेल्जियम ने अनुमोदित किया है। सीबीआई अधिकारियों ने सबूत पेश करने के लिए एंटवर्प का तीन बार दौरा किया और एक यूरोपीय कानूनी फर्म से सहायता ली।
दस्तावेजी सबूतों में 2018 और 2022 के बीच छह बैंक धोखाधड़ी का विवरण दिया गया है, जिनमें बिना मार्जिन के जारी किए गए फर्जी लेटर्स ऑफ अंडरटेकिंग (एलओयू) और फॉरेन लेटर्स ऑफ क्रेडिट (एफएलसी) शामिल हैं, जिसके कारण पीएनबी को 6,344.97 करोड़ रुपए का भुगतान ब्याज सहित चूक के रूप में करना पड़ा।
चोकसी की नागरिकता एक विवादास्पद मुद्दा था। उसका दावा है कि उसने नवंबर 2017 में एंटीगुआ की नागरिकता प्राप्त करने के बाद 14 दिसंबर 2018 को भारतीय नागरिकता त्याग दी थी। भारत इसका विरोध करता है और जोर देकर कहता है कि वह एक भारतीय नागरिक है, इसलिए प्रत्यर्पित किया जा सकता है।
मेहुल चौकसी पर कई गंभीर आरोप हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:
पंजाब नेशनल बैंक घोटाला: मेहुल चौकसी पर पीएनबी के साथ मिलकर 13,850 करोड़ रुपए से अधिक की धोखाधड़ी करने का आरोप है।
मनी लॉन्डरिंग: मेहुल चौकसी पर मनी लॉन्डरिंग और फर्जी लेनदेन के आरोप हैं।
फर्जी गारंटी: उन्होंने पीएनबी के अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जी गारंटी जारी की।
शेयर बाजार में धोखाधड़ी: भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने उन्हें 10 वर्षों के लिए पूंजी बाजार से प्रतिबंधित कर दिया है।
नकली हीरों की बिक्री: मेहुल चौकसी पर नकली हीरों को असली बताकर बेचने का आरोप है।
विदेशी बैंकों से बिना सिक्योरिटी के लोन: उन्होंने विदेशी बैंकों से बिना सिक्योरिटी के लोन लिया और शेल कंपनियों में ट्रांसफर कर मनी लॉन्डरिंग की।