कोलकाता, 3 दिसंबर (आईएएनएस)। भारतीय निर्वाचन आयोग (ईसीआई) की ओर से 4 नवंबर से शुरू हुए विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) में गणना प्रपत्र के डिजिटलीकरण के दौरान पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची से हटाए जाने के लिए 46 लाख से ज्यादा नामों की पहचान की जा चुकी है।
मंगलवार शाम तक पूरे हुए गणना प्रपत्र के डिजिटलीकरण के ट्रेंड के अनुसार, अभी मतदाता सूची से हटाए जाने के योग्य पाए गए नामों की कुल संख्या 46.30 लाख है।
सोमवार शाम तक पूरे हुए डिजिटलीकरण के ट्रेंड के अनुसार, यही संख्या 43.50 लाख थी। इसका मतलब है कि 24 घंटे के अंदर मतदाता सूची से हटाए जाने के योग्य नामों की लिस्ट में कुल 2.70 लाख नाम शामिल किए गए हैं।
पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) के कार्यालय के अंदर के लोगों ने बताया है कि मंगलवार शाम तक जिन 46.20 लाख नामों को लिस्ट से बाहर किया जा सकता था, उनमें से करीब 22.28 लाख नाम “मृत वोटर्स” श्रेणी में आते हैं।
कुल करीब 6.40 लाख वोटर्स “लापता मतदाता” श्रेणी में पहचाने गए हैं। लगभग 16.22 लाख वोटर्स “स्थानांतरित मतदाता” श्रेणी में पहचाने गए हैं, जिसका मतलब है कि वे शादी और नौकरी जैसे कारणों से हमेशा के लिए कहीं और शिफ्ट हो गए हैं। आखिर में, करीब 1.05 लाख वोटर्स “डुप्लिकेट” वोटर्स श्रेणी में पहचाने गए हैं, जिसका मतलब है कि ऐसे वोटर्स जिनका एक ही समय में दो जगहों पर उपस्थिति है।
27 अक्टूबर तक मतदाता सूची के अनुसार, पश्चिम बंगाल में कुल वोटर्स की संख्या 7,66,37,529 है। मंगलवार शाम को, चुनाव आयोग ने बताया कि राज्य में ऐसे मतदान केंद्रों की संख्या में भारी बदलाव आया है और यह संख्या सिर्फ 24 घंटों के भीतर घट गई है, जहां एक भी मृत मतदाता, डुप्लिकेट मतदाता (दो जगहों पर नाम वाले), या कहीं और चले गए मतदाता नहीं थे।
सोमवार को, ईसीआई ने पश्चिम बंगाल में 2,208 ऐसे पोलिंग बूथों की पहचान की थी, जहां एक भी मृत मतदाता, डुप्लीकेट वोटर या शिफ्ट हुआ वोटर नहीं है।

