भारत-नेपाल की सेनाओं का आतंकवाद-रोधी और जंगल युद्धकला अभ्यास

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नई दिल्ली, 1 दिसंबर (आईएएनएस)। भारत व नेपाल की सेनाएं संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘सूर्य किरण’ को अंजाम दे रही हैं। यह युद्धाभ्यास उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में चल रहा है। यहां भारत व नेपाल सैन्य अभ्यास ‘सूर्य किरण’ का पहला सप्ताह उच्च ऊर्जा, सघन प्रशिक्षण और उन्नत तकनीकी एकीकरण के साथ सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ है।

दोनों देशों की सेनाओं ने बटालियन-स्तर पर संयुक्त प्रशिक्षण करते हुए आतंकवाद-रोधी अभियानों व जंगल युद्धकला का अभ्यास किया।

उत्तराखंड के विशाल पहाड़ी इलाकों में दोनों सेनाओं ने पर्वतीय युद्धकला पर केंद्रित कई व्यावहारिक एवं सामरिक अभ्यास भी किए हैं। इस सप्ताह के दौरान भारतीय सेना और नेपाली सेना के जवानों ने इंटीग्रेटेड फील्ड क्राफ्ट, रोड ओपनिंग पार्टी एवं काफिला सुरक्षा जैसी गतिविधियों को अंजाम दिया।

इसके अलावा एम्बुश और काउंटर-एम्बुश, मोबाइल व्हीकल चेक पोस्ट, बस इंटरवेंशन, कॉर्डन एवं सर्च ऑपरेशन भी ‘सूर्य किरण’ का हिस्सा हैं। वहीं आतंकियों के ठिकाने में इंटरवेंशन, जंगल सर्वाइवल, रॉक क्राफ्ट व जंगल फायरिंग जैसी उन्नत गतिविधियों का निष्पादन किया गया है।

सेना के मुताबिक, इन अभ्यासों ने दोनों सेनाओं के बीच तालमेल, समन्वय और इंटर-ऑपरेबिलिटी को मजबूत किया, जिससे संयुक्त अभियानों की क्षमता में महत्वपूर्ण बढ़ोतरी हुई। अभ्यास की एक प्रमुख विशेषता अत्याधुनिक और विशेषीकृत तकनीकों का एकीकृत उपयोग रहा। इसमें इंटेलिजेंस सर्विलांस और दुश्मन की गतिविधियों की निगरानी, ड्रोन, मानवरहित लॉजिस्टिक वाहनों, निगरानी सेंसरों तथा सुरक्षित डिजिटल संचार प्रणालियों का प्रयोग शामिल था। इन तकनीकों की मदद से संयुक्त दलों को आधुनिक युद्धक परिस्थितियों, विशेषकर घने जंगलों और ऊंचे पर्वतीय क्षेत्रों में अपनी रणनीतियों को और बेहतर बनाने का अवसर मिला।

सेना के अनुसार, यह अभ्यास दोनों सेनाओं की क्षमता को भविष्य के बहुआयामी संघर्षों के अनुरूप ढालने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ है। अभ्यास का शैक्षणिक खंड भी अत्यंत प्रभावशाली और ज्ञानवर्धक रहा। इसमें संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अध्याय सात से जुड़े महत्वपूर्ण विषयों पर संरचित चर्चाएं आयोजित की गईं। इनमें ऑपरेशन खुशरी, ग्रे जोन वारफेयर और मल्टी-डोमेन ऑपरेशंस जैसे जटिल और आधुनिक सैन्य सिद्धांत शामिल थे। इन चर्चाओं ने अधिकारियों और सैनिकों को शांति स्थापना, सामरिक निर्णय-निर्माण और उभरती वैश्विक सुरक्षा चुनौतियों की गहन समझ विकसित करने में सहायता की।

सैनिकों के बीच आपसी समझ और सौहार्द बढ़ाने के लिए पीटी, योग, वॉलीबॉल, रस्साकशी जैसी कई मनोरंजन और शारीरिक गतिविधियों का भी आयोजन किया गया। इन गतिविधियों ने दोनों देशों की सेनाओं के बीच व्यक्तिगत और पेशेवर स्तर पर मजबूत संबंध स्थापित किए। सप्ताह भर चली यह प्रशिक्षण श्रृंखला भारत और नेपाल की साझा प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

इसका उद्देश्य भविष्य के लिए तैयार, सक्षम और परस्पर-संगत सेनाओं का निर्माण है। ये सेनाएं आधुनिक सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने के साथ-साथ क्षेत्रीय शांति और संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में सार्थक योगदान दे सकेंगी।