मुंबई, 24 जून (आईएएनएस)। अपनी कमाल की कॉमिक टाइमिंग से दर्शकों को हंसा-हंसाकर लोटपोट करने वाले एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री के चमकते सितारे सतीश शाह का 25 जून को जन्मदिन है। उन्होंने अपनी कॉमेडी से दर्शकों को हंसाया, गुदगुदाया और हर किरदार में जान डाल दी।
सतीश रविलाल शाह का जन्म 25 जून, 1951 को मुंबई में हुआ। उन्होंने अपनी अनोखी एक्टिंग और बेमिसाल टाइमिंग से हिंदी सिनेमा और टेलीविजन में एक खास मुकाम हासिल किया। चाहे वह फिल्मों में छोटा-सा किरदार हो या टीवी पर लंबी पारी, उन्होंने हर बार दर्शकों के चेहरों पर मुस्कान बिखेरी।
सतीश शाह का जन्म मुंबई के एक गुजराती परिवार में हुआ। बचपन से ही उन्हें एक्टिंग का शौक था। स्कूल और कॉलेज के ड्रामा में वह आगे बढ़कर हिस्सा लेते थे और यहीं से उनके अभिनय को पंख लगा और नींव पड़ी ‘शाह’ से ‘एक्टर शाह’ की। उन्होंने अपने अभिनय के जुनून को पहचाना। मुंबई जैसे शहर में, जहां सपने हर रोज पंख लगाते हैं, सतीश ने भी अपने सपनों को हकीकत में बदलने की ठानी। उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से एक्टिंग की बारीकियां सीखीं और थिएटर के मंच पर अपनी प्रतिभा को निखारा। थिएटर ने उन्हें वह आत्मविश्वास दिया, जो बाद में बड़े पर्दे पर उनकी पहचान बना।
सतीश शाह ने करियर की शुरुआत टेलीविजन से की। 1980 के दशक में दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाला शो ‘ये जो है जिंदगी’ (1984) उनके करियर का टर्निंग पॉइंट साबित हुआ। इस शो में उनके किरदार और कॉमिक टाइमिंग ने मशहूर कर दिया। सतीश की खासियत थी कि वह किसी भी साधारण से सीन को अपने अभिनय से खास बना देते थे। इस शो ने उन्हें दर्शकों का चहेता बना दिया और बॉलीवुड के लिए रास्ता खोल दिया।
सतीश शाह ने बॉलीवुड में अपनी शुरुआत छोटी-छोटी भूमिकाओं से की, लेकिन उनकी प्रतिभा ने जल्द ही उन्हें वह पहचान दिलाई, जिसके वह हकदार थे। साल 1983 में आई फिल्म ‘जाने भी दो यारों’ में उनका किरदार भले ही छोटा था, लेकिन उन्होंने अपनी मौजूदगी से दर्शकों का ध्यान खींचा। यह फिल्म आज भी भारतीय सिनेमा की क्लासिक फिल्म मानी जाती है। इसके बाद उन्होंने कई फिल्मों में काम किया, जिनमें ‘मैं हूं ना’ (2004), ‘फना’ (2006) और ‘ओम शांति ओम’ (2007) जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्में भी शामिल हैं।
सतीश शाह की खास बात है कि वह हर किरदार में कुछ नया लेकर आते हैं। चाहे वह ‘मैं हूं ना’ में ‘प्रोफेसर’ का मजेदार किरदार हो या ‘कल हो ना हो’ में पंजाबी पिता का भावुक रोल, उन्होंने हर बार दर्शकों को प्रभावित किया। उनकी कॉमेडी में एक सहजता है, जो उन्हें बाकी अभिनेताओं से अलग करती है। वह न सिर्फ हंसाते हैं, बल्कि अपने किरदारों के जरिए कहानी को गहराई भी देते हैं।
साल 2004 में सतीश शाह ने शो ‘साराभाई वर्सेज साराभाई’ के जरिए दर्शकों को हंसी के ठहाके लगाने पर मजबूर कर दिया। इस शो में उनकी और रत्ना पाठक शाह (उनकी पत्नी) की ऑन-स्क्रीन केमिस्ट्री ने हर किसी का दिल जीत लिया। सतीश का किरदार, जो अपनी पत्नी माया की खिंचाई करता है और बेटे की कविताओं का मजाक उड़ाता है, आज भी दर्शकों को याद है। यह शो इतना लोकप्रिय हुआ कि इसका दूसरा सीजन भी बनाया गया, जो उतना ही हिट रहा।
सतीश शाह ने सिर्फ अभिनय तक खुद को सीमित नहीं रखा। साल 2008 में उन्होंने ‘कॉमेडी सर्कस’ में अर्चना पूरन सिंह के साथ जज की भूमिका निभाई। उनके मजेदार कमेंट्स और कॉमेडी का अंदाज शो की जान बन गया। इसके अलावा, साल 2015 में उन्हें फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की सोसाइटी का सदस्य नियुक्त किया गया, जहां उन्होंने यंग टैलेंट्स को गाइड किया।
सतीश शाह के निजी जीवन की बात करें तो उनकी यह ऑन-स्क्रीन छवि की तरह सादगी से भरा और प्यारा है। उन्होंने साल 1972 में मधु शाह से शादी की। उन्होंने कई शो में पत्नी के साथ शिरकत भी की।