नई दिल्ली, 23 दिसंबर (आईएएनएस)। पौष माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि बुधवार को पड़ रही है। इस दिन सूर्य धनु राशि में और चंद्रमा शाम 7 बजकर 46 मिनट तक मकर राशि में रहेंगे। इसके बाद कुम्भ राशि में रहेंगे।
द्रिक पंचांग के अनुसार, बुधवार के दिन अभिजीत मुहूर्त नहीं है और राहुकाल का समय दोपहर 12 बजकर 21 मिनट से शुरू होकर 1 बजकर 38 मिनट तक रहेगा। इस तिथि को कोई विशेष पर्व नहीं है, अगर किसी जातक को बुध ग्रह से संबंधित दोष हैं, तो वे बुधवार की पूजा कर निवारण कर सकते हैं।
पौराणिक ग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि बुधवार के दिन गजानन महाराज की विशेष पूजा करने और व्रत रखने से बुद्धि, ज्ञान और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। अगर कोई भी जातक इस तिथि पर किसी कारणवश व्रत नहीं रख सकता है, तो वे मांस-मदिरा का सेवन, झूठ बोलना, किसी का अपमान करना, बाल या दाढ़ी कटवाना समेत कुछ चीजों से परहेज करें। वहीं, व्रत की शुरुआत करने के लिए आप किसी भी शुक्ल पक्ष के पहले बुधवार से कर सकते हैं और 12 बुधवार व्रत रखकर उद्यापन भी कर सकते हैं।
धर्म ग्रंथों में व्रत की विधि का उल्लेख मिलता है। इसमें बताया गया है कि इस तिथि पर व्रत करने के लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें, फिर मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें और गंगाजल छिड़ककर शुद्ध करें। एक चौकी पर कपड़ा बिछाकर पूजन सामग्री रखें, फिर ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) की ओर मुख करके आसन पर बैठें।
इसके बाद श्री गणेश को दूर्वा और पीले पुष्प अर्पित करें, साथ ही बुध देव को हरे रंग के वस्त्र चढ़ाएं। पूजा के दौरान श्री गणेश और बुध देव के “ॐ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥” मंत्रों का जाप करें। फिर व्रत कथा सुनें और उनकी पूजा करें। अंत में, श्री गणेश को हलवे का भोग लगाएं और फिर श्री गणेश व बुध देव की आरती करें। उसके बाद आरती का आचमन करें।
पूजा समाप्त होने पर भोग को प्रसाद के रूप में सभी में बांट दें। शाम के समय फलाहार से व्रत का पारण करें।

