“तीसरे सप्तक” ने दिलाई थी सर्वेश्वर दयाल सक्सेना को शोहरत, अपनी कविताओं से सिखाया...
नई दिल्ली, 14 सितंबर (आईएएनएस)। 'अक्सर एक गंध, मेरे पास से गुजर जाती है, अक्सर एक नदी मेरे सामने भर जाती है, अक्सर एक नाव आकर तट से टकराती है, अक्सर एक लीक दूर पार से बुलाती है', ये कविता लिखी थी सर्वेश्वर दयाल सक्सेना ने, जिनकी लेखनी के बिना हिंदी साहित्य की कल्पना करना भी बेईमानी होगी।
अमेरिका का हिंदी अध्ययन दल भोपाल आयेगा, RNTU की मेजबानी में होंगे कार्यक्रम
भोपाल : 12 सितम्बर/ न्यू जर्सी (अमेरिका) स्थित युवा हिंदी संस्थान और न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के संयुक्त प्रयास से विकसित फुलब्राइट-हेस जी पी ए हिंदी...
बलदेव मिश्र : हिंदी के पहले डी. लिट., रविंद्र नाथ टैगोर से लेकर राजेंद्र...
नई दिल्ली, 12 सितंबर (आईएएनएस)। हिंदी एक भाषा से बढ़कर भारत की आत्मा है। इसे सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. बलदेव प्रसाद मिश्र ने सच कर दिखाया। उनकी उपलब्धियां इतनी हैं कि उनके बारे में कुछ शब्दों में लिखना असंभव है। 12 सितंबर 1898 को राजनांदगांव में पैदा हुए बलदेव मिश्र की आज 128वीं जयंती है। इस लिहाज से भी उनके बारे में जानना जरूरी है।
चंद्रधर शर्मा गुलेरी : रोमियो-जूलियट के फैन भी ‘उसने कहा था’ पर फिदा
नई दिल्ली, 12 सितंबर (आईएएनएस)। प्रसिद्ध लेखक चंद्रधर शर्मा गुलेरी ने अपने शब्दों की कारीगरी से लोगों के दिलों पर राज किया। साथ ही हिंदी सहित्य में अपनी एक अलग छाप छोड़ी।
कौन है नीलमणि फूकन जिन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार, पद्मश्री और साहित्य अकादमी से नवाजा गया?
नई दिल्ली, 10 सितंबर (आईएएनएस)। प्रसिद्ध असमिया कवि नीलमणि फूकन (कनिष्ठ) किसी पहचान के मोहताज नहीं। वे 'जनकवि' के रूप में भी मशहूर हैं। असम के गोलघाट जिले में 10 सितंबर 1933 को जन्मे नीलमणि फूकन मूलत: असमिया भाषा के भारतीय कवि और कथाकार थे। राजनीति से लेकर कॉस्मिक तक, समकालीन से लेकर आदिम तक, उन्होंने हर विषय पर अपनी कलम से जादू बिखेरा।
जयंती विशेष: असित हालदार रवीन्द्रनाथ टैगोर के ‘नाती’ जिनकी कूची ने रची कहानियां
नई दिल्ली, 10 सितंबर, आईएएनएस। "तुम चित्रकार ही नहीं कवि भी हो यही कारण है कि तुम्हारी तूलिका से रस धारा बहती है, तुम्हारी चेतना ने मिट्टी में भी प्राण फूंक दिए हैं।'' गुरुवर रवीन्द्रनाथ टैगोर के यह शब्द उस रचनाकार के लिए हैं जिसने अपनी कूची के जरिए कहानियां रची। बीसवीं सदी का ऐसा कलाकार जिसे अंग्रेजों ने भी सम्मानित किया और जो गुरु रवीन्द्रनाथ टैगोर के रिश्ते में नाती लगते थे। नाम था असित के हालदार। जिनकी शैली जितनी सहज थी उतनी ही मानवीय संवेदनाओं को कुरेदने वाली भी।
जब कलम से निकले शब्द किन्नरों के दर्द से ‘स्याह’ हो पन्नों पर उभरे,...
नई दिल्ली, 10 सितंबर(आईएएनएस)। समाज को साहित्य और साहित्य को समाज कैसे एक-दूसरे से जोड़ता है और कैसे एक-दूसरे के बीच यह सामंजस्य बिठाता है। यह साहित्यिक रचनाओं से साफ पता किया जा सकता है। समाज में समानता-असमानता, उतार-चढ़ाव, हानि-साभ, जीवन-मरण, अपना-पराया, स्त्री-पुरुष, अच्छा-बुरा सबके चित्रण का सबसे सशक्त जरिया अगर कुछ है तो वह साहित्य है। लेकिन साहित्य के शब्द इन दो विपरीतार्थक शब्दों के कोष से निकलकर किसी तीसरे शब्द के लिए कलम के जरिए पन्नों पर उतरते हैं तो उसका एक अलग ही मिशन होता है। ऐसा ही एक साहित्य रचा गया चित्रा मुद्गल की कलम से, कालजयी इस साहित्यिक रचना का नाम रखा गया 'पोस्ट बॉक्स नंबर-203 नाला सोपारा'।
जन्मदिन विशेष : स्त्री-पुरुष के बीच रिक्त भावनाओं को शब्दों से भरने वाले आधुनिक...
नई दिल्ली, 7 सितंबर (आईएएनएस)। स्त्री को सिर्फ एक स्त्री के रूप में देखने से उसकी मनोदशा समझी जा सकती है। कुछ ऐसी ही सलाह सुरेंद्र वर्मा देते हैं। उन्होंने एक घर में मौजूद पति-पत्नी के रिश्ते में गुंथे सवालों और समस्याओं को बड़ी बेबाकी से दुनियाभर के सामने रखा है।
यत्र तत्र सर्वत्र : शरद, समाज और सरकार, सिस्टम पर व्यंग्य बाण चलाने वाला...
नई दिल्ली, 5 सितंबर (आईएएनएस)। 'तुम्हारे आने के चौथे दिन, बार-बार यह प्रश्न मेरे मन में उमड़ रहा है, तुम कब जाओगे अतिथि।' भले ही यह व्यंग्य लगे। लेकिन, यह हमारे समाज, हमारे परिवार और हमारे समय की सच्चाई है। ऐसा लिखने वाला शख्स समाज की हर उस नब्ज को टटोलने में माहिर है, जिसके जरिए हम रिश्तों को परिभाषित करने का 'दंभ' भरते और 'इतराते' दिख जाते हैं।
बर्थडे स्पेशल: वो तीन साहित्यकार, जिन्होंने अपनी कलम से लिखी लोकप्रियता की कहानी
नई दिल्ली, 4 सितंबर (आईएएनएस)। 'हिम्मत है तो बुलंद कर आवाज का अलम, चुप बैठने से हल नहीं होने का मसला, तो अब चला 'कलम'। ये शब्द कलम की ताकत को बताने के लिए काफी हैं। कलम से निकली स्याही में इतनी ताकत होती है कि वह समाज को सुधार सकती है। हिंदी साहित्य का इतिहास भी ऐसी ही शख्सियों का गवाह रहा है, जिनकी लिखी रचनाओं ने न केवल समाज को नई दिशा दी बल्कि सत्य और अहिंसा का पाठ भी सिखाया।